________________ महानिशीथसूत्रं यरनं धनियं, सामन्नं गहिउमजोman - 1 अह पंचमुठियं लोथं, जावाढव महायसो। सविणयं देवया तस्स, रथहरणं ताव ठोयई // 162 // उज्यं करवं तव चरणं, तस्स दठण ईसरो। लोओ पूर्व करे. मागो, जाव उ गंदण पुच्छई // 16 // केय तं दिविवाओ। कत्थ , उप्यन्नी 1 को कुली तव / सुत्तत्य कस्स या मूले, सासयं हो समन्जियं?॥१६३॥ सो पच्चएगबु. दूधी जी, सव्वं तस्स वियागरे। जाइं कुलं दिकवा सुतं. अत्यं जह य समन्जियं // 164 // तं सोऊण अहन्भो सो, इमं चिंतेइ गोथमा।। अलिया अणारिंभी एस, लोगं डंभोग परिमुसे // 16 // ता-जारिसमेसं भासेर, तारिसं सोऽविजिणवरी / किंचित्य रियारेणं, तुहिमकेई चिनारंठिए // 166 // अहवा णहि णहिसो भगवं!,देव. दाणवपणमिओ। मणोगयंपि जमझ, तंपि छिनि संसयं / / 167 // तावेस जो होउ सो होउ, किं विधारण एन्थ मे / अभिणंद्रामीह प०वज्ज,सम्वदोपव(स). विमोक्रयणि 168 // ता पड्डियाओ जिणिंदास,सथासे जा तं मवई / भुवणेसं जिणवरं ताव, गणहरसामी पढिओ॥१६९॥ परिनिन्बुमि भगवंते, धम्मतिथंकरेजि गे। जिणाभिहियमुत्तत्थ, गणहरी जा पळवई॥१०॥ . . तावमालावगं एयं, वस्स्वाणमि समागथं। पुटवीकागमेगं जो वावाए सो असंजओ // 17 // ता ईसरो विचिंतेई, सुडुमे युविकाइए / सव्वत्थ. उद्दविज्जति, को ताइं रक्खि तरे ? // 12 // हलुलहाईकरे। अत्तायां, एवं एस महायसो / भन्सदेयं जेणे सहलंदयलेट, किमत्येयं परम्पई // 173 // अरचंतकडयर्ड एणं, रक्षवा. णं तस्सवी फुडं। कण्ठसोसो परं लाभे, एरिसं कोऽणुचिठए ? // 11 // ता एवं विप्यमोत्तूणं, सामन्नं किंधि