________________ श्री भहानिशीयसूत्र :: अध्ययन 2 (27) श्री मशीशम मायने 27 च्चासचमसच्चं च, चरणिज्जाचरणिज्जतहा॥१०॥ एव. इयं वइयरं सोत्या, दुक्खस्संतगवेसियो / इत्थीपरिगहारं. भे,चेज्जा धोरं तवं चरे // 156 // बियासणस्था सयिया परं. मुही, सुथलंकरिया वा अनलंकिया वा। तिरिक्खमाणोपमया हि दुःबलं, मणुस्समालेगमावि करिसई // 17 // चित्तभितिन निझाए, नारिका सुयलंकिय। भक्खरंपिव दणं, दिरिठ परिसमाहरे हत्थयायपडिधिन्न, कनासो बियम्पियं। सडमाणी कुवाहोए,(तमवि-धीय दरयरे) बभयारी विवज्जए॥१॥ परभज्जा आइत्थी, पच्चंगुठभडजोबणा / जुनकुमारि पत्थवयं,बालवि. हवं तहवय // 50 // अंतरवासिणी चेव, सपरयासंडसंसियादिकिरवयं साहनी वावि,सं तय नपुंसगं ॥१५॥कम्ति गोणि नरिंचव, बडवं अविलं अवि नहा। सिप्पित्थि पंसुलिं वावि, अंमरोगमहिलं तहा // 152 // चिरसंसहठमविलमय / पमादी पावित्थिओ। पगमंती जत्थ रयणीए, अइपइरिंबके दिणस्स वा // 153 // तं वसहि संनिवेसं वा, सम्बोवाएहिस वहा / दूरया सुदइरेयं, बंभयारी विवज्जा // 54 // एए. सिं सद्धि संलावं, अदाणां वावि गोथमा! / अन्भासु वावि इत्थीसु, खादंवि विजए // 155 // .... से भयवं! किमिल्पीय जोगिन्साएज्जा 1 गोयमा ! यो णं णिन्झाएज्जा, से भयवं वि मुणियत्यं वत्थालंकरियविहसियं इत्यीयं नो यं निझाएज्जा उया यं रिणियंसणिं,गोथमा! उभयहावि गोग मिसाज्जारा से भयवं! किमित्यीयंनो आलज्जा! गोयमा! नोमं भालवेज्जा३॥ से भय ! किमित्यासु सदिखणधमरियो संवसेज्जा ? गोयमा! जो संवसिज्जा से भय ! किमिन्या.