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________________ (28) श्री आगभ सुधा सिन्धु दशमों विभाग .20 . श्री आगमसुधासिन्धुः। दशमो विभाग: सु सहि नो भला पडिवज्जेज्जा'? एगे अभयारी एकि पीए सद्धि नो अ मा नो अडाणं पबिजेसा ॥सू०॥ से भयवं! के अरठणं एवं उच्चद- जहाणे जो इत्थी निझाएज्जा नो भालज्जा नो गं तीए सर्षि परिवसेज्जा नी गं अहाणं पडिवज्जेज्जा ! गोषमा! सव्वप्पयारहिणं सबित्मीयं अच्चत्य मउक्कडताए रागणं संधुनिकज्जमाणी कामगीए संपलित्ता सहावी व किसहि बाजिद,तभी सवययारेहिं गं बाहिज्जमायी मणुसमयं सवदिसिविदिसासुंगं सब्वत्य क्मिए पत्थिज्ज जावणं मम्वत्य विमए पस्थिज्ञा तारण सम्बन्ध पगारहिं गं सवहारिपुरिसे संकयेज्जा / जाव पु. रिसे संकयेज्जा ताव मोहंरिभाषओगताए बक्युरिह. भोवीमत्ताए रसगिरिभोवोगत्ताए पाणिदिभोवओश. ताए फासिदिभोनभोगत्ताए जत्थ णे केई पुरिसे कंतरूनेड या अतरवेदना पड़प्पन्नधोबोहवा अपडप्पन्नजोब. गेड या दिवेशवा अदिग्बेड़वा इस्टिमतेइ वाम णिढिमतेइवा इहिपतेश्वा अणिडिठपतेइ वा विसया 'उरे वा लिब्धिनकामभोगेइ वा उदयबोंबीएडवा भगु: यबीएड वा महासत्तेरवा हीणसत्तेन वा महापुरिसेश नाकापुरिसेर वा समणेरवा माहोर बा भन्नथरेवा निंदियाहमहीणजाइए वा, तत्य णं ईहापोहवीमंसं पउंजिताणं संजोग संपत्ति परिकम्पे(जाएजाश जारणं संजोगसंपत्ति परिकप्येज्जा तावणं से चित्ते संखुरेभ वेज्जा / जाव से चिते संखुः भवेमा ताव मंने वि.. ते विसंवएज्जा / जार णं से चित्ते विसंबएज्जा तावणं से देहे सेमिएणं अहसासेजा जावयंसे देते सेएणं अदासेज्जा ताव णं से हरविदरे बहपरलीगावाट पर. सेना 7 जावयं से दरनिहरे परलोगावाए पमुसेजा
SR No.004371
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size23 MB
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