________________ * श्री महानिशीधसून . तमिमं मुणी // 6 // तंजहा- तनमुद (मठ) गुण पोरं, आयेज्जा सुदुम्करं / जथा विसए उदिति, पडणामण वि. सें पिबे उबंधितणं मस्थिव्यं, नीचरितं विराहए। अह एथाइं न समज्जा , ता गुरुयं लिंगं समरियया। // विदेसे जय नागरछ, पत्ती तत्थ गंतण / अगुब्ब. “थं पालेज्जा, गोमं भविया णिबंधसे // 9 // ता गोयम! दिसेणे, गिरिपडयां जाव प.धुयं / तावायासे इमावा. मरिज्ज नं // 20 // / दिसामुहाई जा जाए, ता येछ चाणं मुर्णि। . 3नकाले नस्थि ते मध, विसमविसमानितुं गओ // 11 // ताहेवि अपहियासेहि, विसएहिं जाव पीडिओ। ताव चिंता समुय्यन्ना, जहा नि जीविएण मे 1 // 12 // कुंरेन्दुनिम्मलराग, तित्थं पावमती अहं। उड्डाहितोऽह सुल्झिम्सं, कत्थ गंतुमणारिओ॥१३॥ अहया सलंधणी चंगे, कुंदस्स उण कायहा / कलिकलुसमलकलंकीहि, वन्जियं जिणसासणं | // 14 // ता एवं सचल दारिदुहकिलेसम्पयंकरं / पत्थयं खिंसावितो, कत्थ गंबूण सुन्झिहं ॥१५दुग्गरंकं गिरिरो. ढुं, ताणं चुन्निमो धुवं / जाव विसयवसो याहं,किंचिऽत्युइंडाह करं // 16 // एवं पुणोवि आरी, रंकुन्निं गिरी. थई / संबरे किल निरागारं, गयणे पुणरवि भागि 1 जयाले नन्धिते मधू, चरिम तुम इमंतj।ता बद्ध युदळे भोगडलं वेना संसमें कुरु // 1 // एब तुजा बेवारा, चारासमोहि मेहि को,। ताहे गंतूण सी लिंग, गुरुपामूले नि: वेदिउं॥१९॥ तं सुत सरेमाणे, दूरं देरानरं गओ। नत्था- ... हारनिमित्तेणं, बेसाए घरमागमओ // 20 // धम्मलाभं जा भणई, अत्यलाभ विमगिभो / तेणावि सिलादि जुत्तेणं, एवं भवउत्ति भाणियं // 21 // न तेरस. कोडीओ, दविणजाथस्स जो वह हिरण्याविदितं दावे,,