________________ 140] श्री भागम-सुधासिन्धुः शमो विभाग. कओ आसी भवोयही ता कि मेयमणतसंसाराहिंडणति! गीयमा। नियथपमाथदीसेणं, तम्हा एयं विथाणित्ता भवविरहमिरमाणे गोयमा' सुरिदउसमयसारेणं गध्याहिवइया सव्वहा सावपयारेहिं गं सावत्यामेसु अध्य। तं अय्यमत्तेणं भविय-वंति बेमि 30 ॥सूत्र 29 // महानि-सीह मुयधस्स टुवालसंगसुचनाणम्स | णवर्णीयसारनामें पंचमं अज्झयणं // 5 // भय गीतार्थव्यवहारनामषष्ठमध्ययनम्। भयत्रं / जी रतिदियह सिहंतं पटर सुर वक्सा. णे चिंतए सततं सोविं अणायार मोयरे ! 'सिदतगया मेगंपि, अखरं जी विधागई। सो गोयम! मरणं तेविऽणाचारं नी समायरे // सू०१॥ से भयता कीस इस' वी गरिसणे महायसे पव्यजं चिच्चा गणिकाइ गेहं पविरोध दुर्धा गोथमा। 'तस्स पसिहं मे भीगहलं स्खलियकारणं। भवभयभीओ तहावितुर्य, सो पब-जमुनागी // 1 // पायालं अवि उटमुहं सगं होना अहोमुहं। ण उणो केवलियन्नन्तं बयणं अन्नहा भये // // अन्न सो बहुबाए वा, सुथनिबडे वियारि। गुम्यो पामूले' मोनूगं, लिंगनिधिसभी गभी // 3 // तमेव भणं स. रमाणी, दंतभरगो दत्तभंगो) सकम्मुणा / भोगहलं कम्म वेद, बछ पूठनिकाइयं ॥४भयनं ने करि.. सोवाए, सुथनिबडे विद्यारिए / जेणुब्सियसुमा. मन्नं, अनि पाणे धरेइ सो 1 // एते ते गोथमो. नाए, केवलीहिं पवेइए / जहा विसयपराभोसजा