________________ [भागमसुदासिन्युः।दराम विभाग गृहिय-बलविरिय-पुरिसकारपरक्कमे अगिलाजीए वीसठचत्तदेहे सुणिछिए एगगग्गचित्ते अभिनवणं अभिरमिज्जा // 1 // णी णं रागोस-मोह.विसय-कसाय- नाणालंबणाणेगप्यमाय-इटिरस-सायागारव-रोद हरज्माणविगहा-मित्ताविरह-दुरठ जोग-भणाथयणसेवणा-कुसीलादिसंसांगी-पेसुण्ण भम्रवाणकलह-जाताहि-मय- मरधरामरिस-ममीकार- अहंकारादि-अणेग भयभिण्- तामसभाबकलुसिएणं हियएणं हिंसालिय-चोरिक्क-मेहुण- परिग्गहारंभ- संकप्पादि-गोयरअन्झवसिए घोर-पयंडमहारोह-घण-चिक्कण-पावकम्म-मल-लेवरखवलिए असंखुडासवदारे // 2 // एक्कावणलवमुदत्तगिमिस-णिमिसद भतरतरमवि संसलले विरतेय तंजहा- ॥सू०३॥ उनसते सयभावेणं, विरते यजया भवे।म. व्यस्थ विसए आया, रागेतरमोहवजिरे॥३॥ तथा संवेगमावणे, पारलोइयवत िएगग्गेणेसती संभ, हा मी कध गरिछहं? // 2 // को धम्मो को वो जियमो, को तवो मेऽणुचिटिओ। किं सीलं धारियं बोज, को पुण दाणसे पयच्छिओ? // 3 // जस्सागुभावोऽण्णत्य, हीणमझत्तमे कुले। सो वा मायलोए वा,सीकरवं रिदिलभेज॥॥ अहवा चि विसाएणं १,सव्वं जाणामि अत्तियं / दुच्चरियं जारिसो वाऽहं, जे मे दोसा य जे गुणा // 5 // घोरंधयारपायाले, गमिस्सेऽहमणुत्तरे। जत्थ दुरवसहस्साहंडणुभविस्सं चिरं बढ़ // 6 // एवं सव्वं वियागंते धम्माधम्म सुहासुहंमुह दह)। अत्ोगे गोयमा ! पाणी,जे मोहाऽऽयहियं न चि