________________ 免受免免免密免強免染染免染染 श्री महानिशीथरसूत्र :अययन५ , 105 य परिपुरधा, चंद्रमा यनिमंत्रणा, उपसंपया यकाले सामाधारी भरे इसविहा उ // 53 // जत्थ य जिदम्कणि. ना जाणिज्जइ जेदविणयबदमागं / दिवसेणवि जो जेवो णो हीलिज्जद तयं गर॥४४॥ जत्थ य अजाकप्यं पाण. प्चाएविरोरभिरखे। ण य परिभुज्जइ सल्सा गोधमा गई तथं भणियं // 55 // अन्ध य अजाहि समं पेशविण उल्लवंति गयदसणा / ण य णिज्झायंति भंगोवंगाईत ग४६जत्थ य सन्निहि उखडआहउमादीण जामगहोऽवि। पूई-कम्मा भीए आता कप्पनियमि // 4 // जत्थ य पच्चगुठभडदुज्जयजोवणमरदरदप्येणं वाहिज्जंतारि मुणी विखंति तिलोत्तमपि तं गर वा. यामेतेणवि जत्थ भदग्सीलस्स निग्गहं विहिणा / अहल. दिजुयसेहस्सबी कीर शुक्रुणा नयं गच्छ॥४९॥ मउए नियसहावे हासहवविवजिए विगहमुन्ने / असमंजसमकरेंते गोथरभूमऽहठ विहरंनि // 5 // मुणिणो णाणाभिगह दुक्करपरिधत्तमणुचरंता जाय चित्तचमक्कं देविंदापि तं गर॥१अन्य य वंदणपडिनकमणमाइमंडलिविहायनिउणन्नू। गुरुणोभ. खलियसीले सययं कहा गतवनिरए॥३२॥ जत्थय उसभाहीणं तित्ययराणं सुरिंदमहियाणं कम्महविष्य. मुक्काण आणं न रखलिज्जइस गरछो॥३॥ तिन्थयरे तित्थय नित्यं पण जाण गोथमा ! संयं / संघे याठिए गरछे गच्छठिए नाणसणचरितं // 5- णासयम्स नाणं सणनाणे भवंति सत्य / भयणा चारित्तम्स तु सणनाणे धुवं अधि ५५नाणी सणहिमोचस्तिरहिमी य भमइ संसारे जो पूण चरित्तनुमोसो सिझर नत्यि संदेहो // 56 // नाणे पगासयं सोही नयो संजमो य युतिकरो। तिण्हपि समाओगे मोक्सो "FFERRRRRRRRRE