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________________ PAREERARA 1024 Aभागमसुधारि-युः दामो विभाग: वयणाणुाणसीलं असिधगुरव गगगंडीवकुंत धक्काइपहरणपरिगहिया हिंड एसोनं साहसुन्शियभ. नवेस परिवत्तकथाहिंडण-सोलं एवं जाव णं अधुर्गी पयकोडीओ ताव गोयमा ! असठिय वेब वाथरेजा॥०६॥ . तहा अंग्णे इमे बह प्यगारे लिंगे गरछस्सj गोथमा समासी पन्नाजति / एते यणं एकार: सेयण गुरुगुणे बिन्नेए, तजहा- गुरू ताव सध्वजगजी५ नपाणभूयसत्ताणमाया भवइकिं पुग गरछस्स रासे, णं सीसंगणा एगंतणं हि मियं पत्य इहपरलोगसुहावह आगमाणुसारेणं हि ओवएसं पथाइ / से देविंदरिदरिद्धीलंभाणपि पवरूतमे गुरूवएसपक्षा. गलं तं चा(सत्ता) गुमाए परमक्खिए जन्मजरमरगाहीहि इमे भगवसत्ता कई गु णाम सिरसुहं पार्वितितिकाऊणं गुनगएसं पचाइ, णो णं वसणाहि.. भए जहा णं गहग्घल्थे उम्मले 4aa अधिएक वाजला णं मम इमेणं हिजोबएसपथाणेणं अमुगलाभ भवेज्जा, णी गं गोथमा। गुरू सीसाणं निम्नाय संसारमुत्तरेज्जा, णो णं परम्कएहिं सबसुहापुढेडिं कासइ संबई अस्थि // 50 // - ता गोयन! एन्ध एवं ग्थिमि जइ टचरितगीयथो। गुरुगणकालिए य गुरुणा भणेज्ज असमंबयां // 9 // मिण गोणसंगुलीए गणेति वा इंतचम्कलाई से। तं तहमेव करेजा कजं नु नमेव जाणनि // 30 // आगमविऊ बयाई सेयं का भणिज्ज आयरिथा ।नं नहाइटियवंशनिय कारणे तहिं / 114o गेहा गुरु वक्षणं भन्नंत भावमओ पसन्नमणो / ओसहमिव पिज्जल तं तस्य सुहावह होइ॥१२५ पुन्नेहिं चोड़या पुरसम्पएहि . कार
SR No.004371
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size23 MB
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