________________ 92292022* "श्री महानिरीधरसूत्रं :: मध्ययन 17. 103 सिरिभायणं भरियसत्ता / गुरुमागमेसिभद्दा देवयमिक पज्जुवासंति // 13 // बहुसो कखसयसहस्साण दायंगा मोयगा दहसथा। आयरिया उमेयं केसिपएंसीयते हे 30 नरयगइगमणपरि हत्या कर तह पए. सिंणा रन्ना। अमरनिमाणं पत्तं तं आथरियप्पभावणं // 42 // धन्समझएहिं असुमडरे हि कारणगुणावणीए. / पल्हायंतो हिययं सीसं चोइज्ज आधारिओ॥१६". एवं चायरियाणं.पणयन्नं होति कोडिलक्रयाओ। कोडी सहस्से कोडी सए य तह एत्तिए चेव // 17 // ए. : तेहि मसाभो एगे निम्बुडइ गुण(क) गणाइन्ने / सव्वुत्तमभंगेणं तित्ययरस्सऽणुसरिस गुरु // 3 // सेऽविथ गोयम! देवयवयणा सूरियणाई सेसाई। तं तह आराहेज्जा जह तित्ययरे चरबीसं // 19 // सध्यमवी एथपए दुबालसंगं सूर्य तु भणियवं। भबनहा भविमिणिमो समाससारं परं भन्ने // 20 // तंजहा मुणिणो संघं तिथं गण पश्यण मोरयमग एगा। इंसणनाणचरिते घोरुगनचेव गरछणामे य // 2 // पयलंति जस धगधगधगस्स गुरुयोनि चोइए सीसे। रागहोसेणं अह अणुसएण तं गोयम! ण गर॥२२ ग ई महागुभागं तस्य वसंताण निजरा विउला / सारणवारण चोयणमाहीटिंण होसपडिबत्ती // 23 // गुरुणो धावने सुवि। जीए जियपरीसहे धीरे / णनि बजे णवि लुढे गवि गारविएन विगहसीले // 6 // संते ते मुत्ते गुने वरणमग्गमल्लीगे। इसविसामाधारीआवस्सगसंजमुज्जुत्ते // 25 // वरफलसकरकसाणिदग्दुनिरनिराइ सयौ / निमछणानिदाडणमादीहिन जे पोसनि // 26 // जेय ण अकितिजणए णाजसजणए कज्जकारी यान य पश्यणुइडाहकरे कंग्गथपाणसेसेवि // 7 // सम्माथझायनिरए घोर maranthan F REEFFFFFES