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________________ 298220 श्री महानिशीधसूत्रं * 3यनं 57 पडिपुन्ने अणि उजियाणज्जरघोर चडमहारोह दुम्वदासणे गठभपरंपरा पसे 10/ जेणं पुणो 2 घालणे गाभपरंपरापवरी से दुम्से से गं कैसे से रोगायके। सेणं सोजसंताबुलेयाले 11 से इमर केस रोगायंकसोगसंतालेयरी में कुत्ता 12 // जे अ. णिनी से अहटिग्यमारहाण असंपत्ती णं जहहिंग्यममारहाण असंपनी से नाव पंचप्पया. संतरायकम्मोदए 14. जत्य पंचपचार भतरायकम्मो दए तत्थ णं सतत्कवाय अरए पटमे ताव दारिह 15 जेण दगार से समस्याण किर्तिकलंक रामोटा मेलापागले ने अयस56भक्खाया अकिर्तिकलंकापसी मेलावगागमे सेणं सयलजणलज्जयिने निंदाजे जे विंस. ,णिज्जे दुगंधणिज्जे पवपरियजरिये 17 / जे सन्न परिझ्यजी/ए से या सम्मान 'टाचारिताइ. गुणहि सदरयां वयमुक्के चेव मणुयजम्मे अन्नहा वा सपरिभूए चेव भवेज्जा 18 जे सम्म / इसपनायाचारिता इगुणहि सुदरयां विप्यमुक्के चेव, , न भये सेयां अणिमहासवाए चेव 19 जे अनिरुहासवदारते चेव बहल'लपारकम्माययो / जेणं बहललपारकम्माययो सेबी से बंधी सेयां गुत्ती सेणं चारजे से रकमकालाण मगल. जाले विमोम्ये कबडघा बद्धपुरनिगाइएकम्मगंठी 2 // जे कामघणाबद्ध पुरनिगाइयकम्मगंटी से एजिदियनाए ३रियनाए तेइंदियनाए च. उरिदियताए पंचि त्यत्तार नारयतिरिरमाणुसेसु रोगविहं सारीरमायास दुम्ममणुभवमानं वेश्यध्ये 22 // एएणां मरणं गोथमा। एवं रचइ जहा भयो AAPPACaca 5453
SR No.004371
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size23 MB
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