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________________ 24] / श्री 37 मशि : :: दशमो विभागः / रसत्ताए, कासत्ताए संगणताए / परिणामेता सरीरेणं, बो. / हिपाविज वा ण या 302 // एवं वयनियमभंगंजे कज्जमा मुवेक्सए / अहसील वंडिज्जतं, महवा संजमविराहणं .. १०३॥उम्मग्गयरत्तणं वावि, उस्स्त्ताथरणपि वा / मोडविथ . अणंतरुत्तेण, कमेण चउगईभमेवoen ससउ तुसजी फो मावा, विसं वा परियतभी। भासियव्वा हिया भासा सपरख गुणकारिया // 15 // एवं लदामविबोहि जदयोभवइ निम्मला / ता संडासवहारे पगठिइपएसाणुभावियबंधी) नेहो सो नो यनिअरे // 10 // एवमाहीघोरकम्महठजालणं कसियाण भो! / सन्वेसिमवि सत्ताणं, कभी दवा विमोययं ? // 10 // पुब्बि दुक्कथञ्चिग्णाण दुप्पकिंतागं निययकः / मागं अवैझ्याणं मोक्यो घोरतवेण असोसियायवा॥ सू०२॥ अणुसमयं बधवच्चाए कम्म, पत्थि भबंधोउ पाणिणो / मोतुं सिद्धे यउयोगीय, सेलेसीसंम्पितहा 500 सुर सुहज्ज्ञवसाएण, भसुदुज्सवसायभी। तिव्ययरेणं तु तिःवयरं, मंद मंदेण संचिगे // 1095 सव्वेसिं पावकम्माणं एगीभूयाणा जेनिथ सि / भवे तमसंवगुणं वयतवसंजमधारितखंडणविराहणेणं उम्म / त्तमरणपन्तरणपरतणायरगोवेक्षणे यसमन्जिोusoon अपरिमाणगुरुतुंगा, महंती घणनिरंतरा / पावरासी / खयं गच्छे अहाते स०वो बाहिरवाए हियामायरे॥१०॥ भास: वहारे निलंभित्ता, अप्यमारी भवे अथा। बंधिसप्पं बई वेरे,जद : . सम्मत सुनिम्मलं // 14 // भासदारे नि भेत्ता, भायं नोखं.. / डए जया। हँसणनाणचरित्तेसु, उन्मुत्तो जो व्य) दृढं भवे utu तयावए खगंबंधि, पोराणं सव्वं खवे। अणुयामवि उई'रिता, निन्जियघोरपरिसहो // 3 // भासवहारे निमित्ता, मव्वा."
SR No.004371
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size23 MB
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