________________ 42 . श्री आगम सुधा सिन्धुः दशमी विभागः / मी नि आसाथणं भवे // 1 // जे पुण सम्वस्स पडिकते, धारे पच महब्बए / जिणलिंगं तु ममुम्बइ निगं नो नि! बजए॥१॥ तो मत्यासाय नेम इलियडीआउसेवणे / अनंतनाणी जिणे जम्हा, एयं मणमाविणऽभिलमे ॥१लाता गीयमा / साहिय एय. एवं वीमंमिउं दट / विभाग्य जईब. दिज्जा गिरिणो न भबोरिलाभियं // 19 // संजए पुण नि.. बंधिज्जा, एथाहि हेऊहि य / आशाइस्कम बयभंगा, मह उम्म. गंग-पवनणा // 19 // मेहुणं चारकाथं च, नेउकार्य नहेन य / हवाइ तम्हा तिनयंति, (जनेणे) वज्जेज्जा सव्वहा मुणीzen जेचरते अपरितं. मणेणं संविलिस्सए / जहभाणिवाडर गाणुरठे, निग्यं सो तेण वच्चई।१९२॥ भय मंदसडेटिं, पायरितं न कीरई। अह काहंनि किलिलमगे ताडगुकंपं वि. रुज्झए 1193 // नो राथाहिं मंगामे, गोथमा ! सल्लिए नरे / सल्लुदरणे भबे दुम्सं, नाणुकंपा निरुज्झए / 1940 एवं संसारसंगामे, अंगोवंगतबाहिरं / भारसल्लुरिताणं अणुक्रया अगोवमा 112 // भय ! सल्लेमि देहत्थे दुक्लिए होति पाणिणो / जसमर्थ निमिडे सल्लं तरवणासो सुही भवे // 16 // एवं तित्ययरे सिदे, साह धम्म विवंचि। उनकज्ज कर्य तेणं, निसिरियणं सही भवे ॥१९पायरितण को तत्थ, कारिएणं गुणो भवे? जेणं झीवस्यबी रेसि, दुक्करं सुरगुच्चरं // 19 // उद्धरि गोथमा! सल्लं, वणभंगे जावणी कथै / वणपिंडीपट्टबंधच,तार गं कि परुज्झए। 1 // 19 // भावसल्लम्स रणपिंडीयभुओ इमो भवे / पछि सो दुकवरोपि. पावणं खिय्यं परोहए // 20 // .. भयवं! क्रिमणुविजंते, सुव्वंते जानिए २वा ? / सोहे। सत्ययावाई, परिधते सरन्नुदेसिए ? // 201 / / सुसाऊ सीयले उगे, गोथमा ! जाव गो पिए / गरे जिल्हे बियाणेते, नान सहा इसमे // 20 // एवं जाणितु परिवन्द 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎