________________ ఆకలి 202] ...... श्री आगमसुधासिन्धु: :: दशमो विभाग: वाझणं // 6 // अंकुरकुहर किसलयपालपुणफलकंदला. ईण। हत्थफरिसे बहवे जति खयं वणकई जीवे। 68 // गमनागमणा निसीयण सुथाहाणअणुवउत्तय. पमत्ती / वियलिति बितिचउपंचेंदिया गोयम / स्वय नियमा॥६९॥ पाणाइवायविरई सिफलथा गिहिऊया ता धीमं। मरणावयंमि पत्ते मरेज्ज विरइनखंडे - ज्जा / / 70 // भलियवयणस्स विरई सावज सरच. मविन भासिज्जा / परदन हरणनिरइंकरेज्जादिन्नेविमा लो॥१॥ धरणं दडरबंभवयस्स काउंपरि. गह धार्थ / राई भोयगरिइं पचिन्थिनिगह वि. हिणा // 72 // अन्नेथ कोहमाणा रागदोरसे य आलो. यणं दाउ / ममकारनहंकारे पथस्यित्वे पयत्तेणं / ७३॥जह तव संजमसज्झायमाणमाईस सुद्धभावेहि। उज्जमियत्वं गोथम विजलयाचंचले जीवे // 4 // किं बढ़णा' गोयमा। एत्य, दाऊणं आलोयणं / पुढविकाथ विराज्जा , कत्थ गंतुं स सुन्झिही? // 7 // किं.बहुगा गोयमा 'एन्धं, दाऊणं आलोयणं / बाहिरपाणं तर्हिजम्मे, जे पिए कत्थ सुन्झिही 1 // 6 // किंबहुणा गोयमा ! एत्थं, दाऊणं जालीयो / उपहवइ जालाई जाओ, मुसिओवा कत्थ सुन्झिही? किं बहणा गीथमा ! एन्थ, दाऊयं आलोयणं / वाऊकाय उही रेज्जा, कत्थ गंतूण सुमिही? // 7 // किं बढ़णा गोथमा। एत्य, दाऊणं आलोयणं / जो हरि. यतणं पुवा, फरिसे कत्थ स सुन्झिही 1 // 79 // कि बढ़णा गोयमा! एत्थ, दाऊणं आलोयणं / अम्कमईबीयकार्य जो, कत्थ गंतुं स सून्झिही 100 किं बढ़णा गो. यमा! एत्य, दाऊण आलोयणं / वियलेंदी (बितिचउ) पंचिदिय परियावे. जो कत्यस सुन्निहि // 1), कि बहुणा गोयमा ! एत्य, दाऊणं आलोयणं। धक्काए ssssssssss