________________ श्रीमहानिशीथसूत्र अध्ययनं 1] केण / जह आलोएमागोण, चेव संसारखुइटी भवे // 9 // अगंतेऽणाइकालाठ, अत्तकम्महि दुम्मई / बहुविकय्यकल्लोले, आलोएंतोऽवी अहो गए // 92 // गोथम ! केसिंचि नामाईसाहिमो तं निबोधय जयालोयणपच्छिते, भावदोसिमककलुसिए // 13 // ससल्ले घोरमहं दुक्ख, दुरहिआसं सुसह। अणुहवतेवि चिट्ठति, पावकम्मे नराहमे // 9 // गुरुगासं. जमै नाम, साढ़ निधसे नहा / बिहीवाथाकुसीले यमगकुसीले तहेव य // 9 // मुहमालोयगे नहय, परववएसालो. यगे नहा / किं किं चालोयगा तह थ, ण किंचालोयगेतहा , // 96 // अकयालोयणे चेव, जणरंजवणे नहा / नाहं काहामि पच्छितं. धम्मालोयणमेव य ॥९॥माथाभपवंचीय.पूरकडतवंचरणकहे / पछि नत्थि मे किंचि.नकथालोययसरे // 9 // आसण्णालोयणक्खाइ,लहपच्छित्तजायगे। अम्हावालोइयणं चिठे, मुहबंधालोयगे तहा // 19 // गुरुपच्चित्तातमसरके य, गिलाणालंबणं कहे। आरभडालोयगे साहू,सुण्णासुण्णी तहेवय॥१०॥ निरिछन्नविय पछिसेन काहं तुरिठजायगे / रंजवणमेत लोगाणं,वायापन्छिते नहा॥१॥ परिवज्जणपछि चिस्यालपनेसगेतहा। अणणाठियपायचिते. अणुभणियऽण्णहायरे तहा / / 102 // आउट्टीय महापावे,कंदप्या दम्यै तहा / अजयणासेवणे तहय, सुयासुयपछि नहा दिपोत्यय (चिठायायपच्छिते, सयंपरिधत्तकथ्यगे। एक इयं इत्य पछितं, पुवालोइयमगुस्सरे ॥१०॥जाईमयसंकिए चैव, कुलमयसंकिए तहा / जातिकुलोभयमयासंके, सुतलाभस्सिरियसंकिय तहा // 10 // तवीभए संकिए धेव, पंडि. च्चमयसंकिए तहा / सकारमयलुरे य, गारवसंधुदासिए तहा / / 106 // अयुज्जो वाविऽहं जमे, एगजमेव चित्तगे। पावि गणपि पावतरे, सकलुसचिसालोयगे // 407 // परकहानगे फेव, अविणयालोयगे नहा। अविहीभालोयगे साह,एबमारी दुरथ्यणी