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________________ 120) श्री भागमसुधासिन्यु::: दशमो विभाग सम्मंदियाणगे जे गं कोहमाणमायालीमममकारादितिहासरयड्कंदप्पणाहवायविप्यमुक्के धम्मकही संसारवासनिसयाभिलासादीणं वेरगुप्पायगे पडियोहगे भबसतागं, से गं गनिक्स्पेवणजोग्ग से गं गणी से ण गणहरे से तिसे णं नित्ययरे से अरहा से णं केवली से जिणे. से णं ति-भासगे से वंदे सेट पुज्जे से गं नमः सणिज्जे से दहब्बे से णं परमपवित्ते से णं परमकल्ला णे सेणं परममंगले से गं सिद्धी से गं मुत्सी से सि. .वे से गं मोक्खे से गं नाथा सेणं संमरगे से गं गती से गं सरन्ने से गं सिटे मुत्ते पारगए देवे देवदेवे। एयरस णं शोयमा ! गणनिकवेवं कुज्जा एयरस यं गणनिम्खेवं कारवेजा एयरस णं गणनिकलेवकरण सम गुजाणेज्जा, अन्नहाणं गोयमा! आणाभंगे सामू०१५।। . से भयवं! कश्यं कालं जाव एस आणा पवे. ईथा ? गोथमा ! जावे णं महायसे महासत्ते महाणुभागे सिरिय्यभे अणगारे 10 से भगवं! केवएण कालेणं सिरिप्यभे भणगारे भवेज्जा ? गोथमा / होही दुरंतपंतलम्रवणे अ ब्वे. गेटे चंडे पर्थडे उग्गययंडरंडे निम्मेरे निक्किवे निग्धिणे नितिसे करयर पारमई अणारिए मिरहिटी कक्की नाम रायाणे, से पाये पाठियं भमानिसकामे सिरिसमणसंधं कयत्येज्जा 2 / जाव या मयत्येइ ताव गो. थमा ! जे केई तस्य सीलड्ढे महाभागे अचलियसते तवोहणे अणगारे लेसि च पाई हेरियं कुच्चा सोहम्मे कुसिल. पाणी एरावयागाम सुवरिंदे, एवं च गोयमा / रेविंद वं दिए दिपया या सिरिसमणसंघे गिटिवज्जा लुगए पासंडधम्मे / जावणं जोयमा! एगे अबिज्ने अहिं. सालक्खारवंतादिदसविहे धम्मे एगे अरहा देवाहिदेवे / एगे जिणालए एगे वंदे पूए दरले सक्कारे सन्माटो
SR No.004371
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size23 MB
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