________________
वज्जालग्ग
२८५
नेहवज्जा ८०*१. गुणहीन से भी प्रेम हो जाता है अथवा प्रेम किसी से भी हो जाता है। मनोहर वृक्षों को छोड़कर कौआ नीम पर रहता है ॥ १॥
८०*२. यह गाथा पियोल्लाववज्जा में (गा० ७८६) किंचित् परिवर्तन के साथ संगृहीत है। अर्थ में कोई विशेष अन्तर नहीं है ।। २॥
.
८०*३. यह पियोल्लाववज्जा की क्रमांक ७८१ की गाथा है। अर्थ वहीं देखें ॥ ३ ॥
नीइवज्जा ९०*१. नमक के समान रस नहीं, विज्ञान के समान बान्धव नहीं, धर्म के समान निधि नहीं और क्रोध के समान वैरी नहीं ॥१॥
९०*२. जहाँ महिला की प्रधानता है, राजा बालक है और मन्त्री निरक्षर है, वहाँ धन-सम्पत्ति रहने दो, प्रयत्न-पूर्वक प्राणों की रक्षा करो ॥२॥
९०*३. यह गाथा गुणसलाहावज्जा में गाथा क्रमांक ६९८ पर है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org