Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh, Vishwanath Pathak
Publisher: Parshwanath Vidyapith

Previous | Next

Page 574
________________ गायानुक्रमणिका ४९९ असमत्थमंततंताण 58x इह इंदघणू इह 627 असरिसचित्ते दियरे 465 इह तिवलिरमणे इह अति० 318*1 अह तोडइ नियकंचं 181 इहपरलोयविरुद्धण 469 अइ भुंजइ सह पिय • ___99 इह पंथे मा वच्चसु 373 अह मरइ धुरालग्गो 180 इह लोए चिय दीसइ 671 अहला तुज्झ न दोसो अति० 421*1x इंतीइ कुलहराओ अति० 214*2 अवा मरंति गुरुवसण 97 इंदिदिर छप्पय 236 अह सुप्पइ पियमालिंगगिऊण 98 इंदिदिर मा खिज्जसु अति० 252*3 अहिणवगज्जियमदं अति० 445*2 इंदीवरच्छि सयवार अति० 45405 अहिणवघणउच्छलिया 259 ईसिसिदिन्नकज्जल 297 अहिणवपेम्मसमागम 621 उच्चट्ठाणा वि अति० 312010 अहिणि व्व कुडिलगमणा 560 उच्चं उच्चावियकंघरेण 650 अहियाइमाणिणो ___462 उज्जग्गिरस्स तणुय 364 अंगारयं न याणइ 507x उज्झसु विसयं 664 अंतोकढंत मयणगि अति० 318*3 उड्ढं वच्चंति अहो 702x आढत्ता सप्पुरिसेहि ___117 उण्हुण्हा रणरणया आरंभ च्चिय चडु अति० 64*4 उत्तमकुलेसु जम्मं 730x आरंभो जस्स इमो 331 उत्तुंगधणणिरंतर 305 आलावणेण उल्लावणेण 330 उद्धच्छो पियइ जलं 445*1 आविहिइ पिओ चुंबिहिइ 784 उन्नयकंधर मा जूर 224 आसन्नपडणभय अति० 312x7 उन्नय नीया नोया 128 आसन्नफलो फणसो उब्बिबे थणहारे 306 आसंति संगमासा 726 उन्भिज्जइ सहयारो 632 आसासिज्जइ चक्को 725 उन्भेउ अंगुलि सा 463 इच्छाणियत्तपसरो 393 उयणं भुवणक्कमणं 774 इत्तो निवसइ अत्ता 496 उयरे असिकप्परिए 166 इय कइयणेहि रइए 794 उयह तरुकोडराओ 654 इय तरुणितरुण अति० 449*1 उयहिवडवाणलाणं 684 इयरकुसुमेसु महुयर 246 उल्लवउ को वि महि 342 इय रक्खसाण वि फुडं 419x उवरि महं चिय वम्मह 392 इयरविहंगमपयपंति 720 उवहि लहरीहि गम्बिर 763 384 155 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590