Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh, Vishwanath Pathak
Publisher: Parshwanath Vidyapith
View full book text
________________
अति०
गाथानुक्रमणिका
अतिरिक्त गाथाएँ ( पाण्डुलिपि 'स' पृ० २७४ से ३४१ तक ) । * यह है कि वह अतिरिक्त गाथा किस गाथा पर है |
X
= इस चिह्न से चिह्नित गाथाएँ परिशिष्ट 'ख' में विशद् रूप से विवे
चित हैं ।
पृष्ठ (बालासिलोयवज्जा के अर्न्तगत पृ० ३४० पर विवेचित गाथाएँ) ।
पृ०
अडचंपिय विणस्सइ अति० 31* 7X अकर विकए वि पिए अकुलीणो दोमुहओ
38
52
अति० 284 * 1
अक्खंडिय उवयारा अगणिय समविसमाणं
110 X
425
724
351
अगणियसेसजुवाणा
अग्गि व्व पउमसंड
अहि महुं दे ह अच्छउ ता इयरजणो
93
अच्छउ ता करिवहणं अति0214*5 X
अच्छउ ता फलणिवह
740
अच्छउ ता फंससुहं
अच्छउ ता लोयणगोयरम्मि
अच्छउ ताव सविब्भम
अच्छी हि तेण भणियं अति० 496*11 अच्छी हि पई सिहिणेहि
614
अज्ज कयत्यो दियहो
206
अज्जवि विहरो सुपहू
168
अज्जवि संभरइ गओ
191
अज्जं गओ त्ति अज्जं
377
३२
Jain Education International
में उपलब्ध तथा परिशिष्ट 'क' में चिह्न इस बात को सूचित करता क्रमांक के बाद है और किस क्रम
407
408
420
अज्जं चिय तेण विणा
376
375
अज्जं चेय पउत्थो अज्जं अज्जं चेय पउत्थो उज्जागरओ 374 x अज्जं पुण्णा अवही अज्जं चिय तेण विणा अति० 300*3 अजाहं पुप्फव अति० 72*3
382
अज्जेव पियपवासो
अति० 462*2
308
679
25
754
649
284 * 4
अज्झाइ नीलकंचुय अज्झाकवोल परिसंठियस्स
अणवरयबहलरोमंच अणवरयं दंतस्स वि
अणुझिज्जरीउ आलोइऊण अणुणयकुसलं परिहास अति० अणुरायरयणभरियं
अणुसरइ मग्गलग्गं
अत्ता जाणइ सुहं अत्ता बहिरंधलिया
अत्थक्को रसरहिओ
अत्थस्स कारणेणं
अत्थं धरंति वियला
For Private & Personal Use Only
erfer 312*4
अति० 31*2
अति० 496*13
492
27
572
584
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590