Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh, Vishwanath Pathak
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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वज्जालरंग
जारमसाणसमुब्भव अति० 496*7 डज्झउ सक्कयकव्वं अति० 31*3 जाव न वियसइ सरसा 242 उज्झउसो जोइसिओ 503x जीयं जलबिंदुसमं 665 डज्झसि डज्झसु
454 जूरिज्जइ कि न जए 769 डझंति कढंति
404 जूहाओ वणगहणं
198 डझंतु सिसिरदियहा 656 जे के वि रसा अति० 412*1 डहिऊण निरवसेसं
644 जे जे गुणिणो जे जे
140 डिभत्तणम्मि डिभेहि अति० 496*3 जेण विणा न वलिज्जइ557 डिभाण भुत्तसेसं
461 जेण समं संबंधो अति० 496*1 ढक्कसि हत्थेण मुहं
612 जे भग्गा विहवसमीरणेण 142 ढलिया य मसी।
509 जेहिं चिय उब्भविया
62 ढंखरसेसो वि महुयरेहि 251 जेहिं नीओ वडिढ 738 ढुरुढुल्लतो रच्छामुहेसु
625 जेहि सोहगणिही
तइया वारिज्जंती
545 389, अति० 389*1 तह वोलते बालय अति० 445*5 जोइक्खो गिलइ तमं 776 तद्दियहारंभ
119 जोइसिय कीस चुक्कसि 500x
तह कह वि कुम्मुहुत्ते
380 जोइसिय मा विलंबसु 498 तह चंपिऊण भरिया
314 जो जंपिऊण जाणइ
272 तह जंतिएण जंतं
536 जो जं करेइ पावइ सो तं 480
तह झीणा जह मउलिय 437 जो धम्मिओ न पाव
522 तह झोणा तुह विरहे
433 झणझणइ कणयडोरो
327 तह तुह विरहे मालइ
227 झिज्जइ झीणम्मि सया
75 तह तेण वि सा दिट्ठा
412 झिज्जउ हिययं फुटुंतु
450
तह नीससियं जूहाहिवेण 196 झीणविहवो वि सुयणो
94
तह रुण्णं तीइतड अति० 605*2 ठड्ढा खलो व्व सुयणो 301
तह वासियं वणं मालईइ 232 ठाणच्याण सुंदरि अति० 312*5
तं कि पि कम्मरयणं
111 ठाणयरेहिं एहिं अति० 312*11x
तं कि पि पएसं अति. 252*2 ठाणं गुणेहि लब्भइ""हारो वि तं कि पि कह वि
485 गुण अति० 90*14 तं कि पि साहसं
108 ठाणं गुणेहि लब्भइ""हारो वि नेय 690 तं किं वुच्चइ कव्वं अति०31*6 ठाणं न मुयइ धीरो 682 तं जंतं सा कुंडी।
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