Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh, Vishwanath Pathak
Publisher: Parshwanath Vidyapith

Previous | Next

Page 585
________________ ५१० वज्जालग्ग मुत्ताहलं व कम्वं रे रे कलिकालमहा . 43 मुत्ताहलं व पहुणो 693 रे रे विडप्प मा 483 मुय माणं माण पियं 360 रे ससिवाहणवाहण मा 371 मुहभारियाइ सुठु वि 540 रे ससिवाहणवाहण वारिज्जतो 372 मुहराओ च्चिय पयडइ 403 रेहड पियपडिरुमण अति० 38994 मूलाहिंतो साहाण 645 रेहइ सुरयवसाणे 328x मेरू तिणं व सग्गो 105 लच्छिणिलयत्तणत्ताण 714 मोत्तूण करणगणियं 505 लच्छीइ विणा रयणायरस्स 750 मोत्तूण बालंतंत 520x लच्छीए परिगहिया 713x मोत्तूण वियडकेसर अति० 252*1 ललिए महुरक्खरए 29 रइकलहकुवियगोरी 606 लवणसमो नत्थि रसो अति० 90*1 रच्छातुलग्गवडिओ अति० 49610 लंकालएण रत्तंबर अति० 637*1x रज्जंति नेय कस्स वि 548x लंकालयाण पुत्तय 637 रज्जावंति न रजहिं न देंति 550x लीलावलोयणेण वि 283 रज्जावंति न रज्जहिं हरंति 549 वइमग्गपेसियाई 427 रणरणइ घरं रणरणइ अति० 72*7 वग्घाण नहा सीहाण 214 रत्तं रत्तेहि सियं .अति० 300*5 वच्चिहिसि तुमं पाविहिसि रत्ते रत्ता कसणम्मि अति० 263*1 551 रमियं जहिच्छयाए 661 वच्छत्थलं च सुहडस्स 178 रयणाइ सुराण समप्पिऊण 758 वडवाणलेण गहिओ 751 रयणायरचत्तेण 356 वड्ढसि विरहे अति० 38987 रयणायर त्ति नाम 762 x वड्ढसु मालइकलिए 228 रयणायरम्मि जम्मो 268 . वड्ढावियकोसो जं 715 रयणायरस्स न हु होइ 755 वणयतुरयाहिरूढो 630 रयणायरेण रयणं 746 वण्णड्ढा मुहरसिया 561x रयणुज्जलपयसोह 20x वम्मह पसंसणिज्जो 396 रयणेहि निरंतरपूरिएहि 753 वम्महभक्खणदिव्वोसहीइ 663 रायंगणम्मि परिसंठियस्स 678 वरतरुणिणयण 680 राहाइ कवोलतलुच्छलंत 596 वरिससयं नरआऊ 866 रुणरुणइ वलइ 240x वरिसिहिसि तुम 157 रुंदारविंदमंदिर ___633 ववसायफलं विहवो 116 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 583 584 585 586 587 588 589 590