Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh, Vishwanath Pathak
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 584
________________ गाथानुक्रमणिका ५०९ बे पुरिसा धरइ धरा 45 मह एसि कोस पंथिय 491 बे मग्गा भुवणयले ____95 महणम्मि ससी महणम्मि 32 बे वि सपक्खा तह 260 महिला जत्थ पहाणा अति० 90*2 भग्गं न जाइ घडिउं अति० 349*8 महरारज्जे वि हरी । 603 भग्गं पुणो घडिज्जइ अति० 349*9 मंदारयं विवज्जइ 529 भग्गे वि बले वलिए 163 मा इदिदिर तुंगसु 245 भग्गो गिम्हप्पसरो 646 मा उण्हं पियसु जलं 441 भणिओ वि जइ न 506 मा जाणसि वीसरियं अति० 72*6 भद्दमुहमंडणं 542 मा जाणह जह तुंग 202 भदं कुलंगणाणं अति० 471*1 मा जाणह मह सुहयं 576x भमर भमंतेण तए 255x मा झिज्जसु अणुदियह 193 भमरो भमरो त्ति गुणो 247 माणविहणं रुदीइ 789x भमिओ चिरं असेसो 541 माणससररहियाणं 263 भमिओ सि भमसि 772 माणससरोरुहाणं अति० 263*2 भयवं हुपास अति० 496*4 माणं अवलंबंती 357 भुंजइ भुंजियससं 455 माणं हु तम्मि किज्जइ 363 भुंजंति कसणडसणा 159x माणिणि मुएसु माणं 356 भूमीगयं न चत्ता 723 मा दोसं चिय गेण्हह. 74भूमीगुणेण वडपायवस्स 735x मा पत्तियं पि दिज्जसु 488 भूमीसयणं जरचीर 152 मा पुत्ति कुणसु माणं 358 भूसणपसाहणाडंबरेहि ____554 मा पुत्ति वंकवंकं 282 मइरा मयंककिरणा 395 मा रज्ज सुहंजणए 641x मउलंतस्स य मुक्का 739x मा रुवसु ओणयमुही 473 मग चिय अलहतो 307 मा रुवसु पुत्ति 546 मग्गंती मूलियमूलियाइ 553 मालइ पुणो वि मालइ 239 मज्झण्हपत्थियस्स 440 मालइविरहे रे तरुण 241x मडहं मालइकलियं 230 मा वच्चह वीसंभ 61x मडहुल्लियाइ कि तुह 231 मा सुमरसु चंदण 192 मयणाणलसंघुक्खिय 385 मा होसु सुयग्गाही अति० 90*7 मरुमरुमार त्ति 320 मित्तं पयतोयसर्म 67 मसि मलिऊण न याणसि 508 मित्तो सूरो कयपत्त 719 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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