Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh, Vishwanath Pathak
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 582
________________ नइ पुरसच्छहे न गणेइ रुववंतं नवंति गुणा विहडंति न जलंति न धगधगंति अति० न तहा पइमरणे वि हु अति० न तहा मारेइ विसं न तहा लोयम्मि न मए रुण्णं न कयं न महुमहणस्स नमिऊण गोरिवयणस्स नमिऊण जं विढप्पइ नयणब्र्भतरघोलंत 354 566 X 123 389* 6 214*3 385 660 370, अति० 300*7 118 610 X नयणाइ तुज्झ सुंदरि नयणाइ तुह विओए नयणाइ नयंति नयणाइ फुससु नयणाइ समाणियपत्तलाइ नयणाण पडउ वज्जं वयरं न होइ नवलिणमुणालुल्लोल न विणा सब्भावेणं न वि तह पढम न सहइ अब्भत्य नियं नहकुंत ग्गयभिन्ना समूहागय अति० arfa Jain Education International नहकुंतग्गयभिन्ना हारावलि arfa ० नहमासभेयजणणो न हसंत परं न थुवंति नहु कस्स वि देति घणं गाथानुक्रमणिका 100 430 296 426 454* 3 454*4 291 X 299 270 26 1 अति० 312* 6 556 325 60 312*1 51 37 579 X नाराय निरक्खर नासइ एण घणं नास वाण तुसं नाहं दूईन तुमं निग्गुण गुणेहि निय नियकुद्दालय मज्झ निद्दाभंगो आवंडुरत्तणं नमो गुणरहिओ निद्धोयउदयकंखिर निबिडदलसंठियं निम्मल वित्तहारा निकम्मे हि विनीयं नियगुणणेहखयंकर नियडकुडंगं पच्छन्न निययालएसु मलिणा निass जहि जहि निवसंति जत्थ छेया निहणंति घणं नीरसकरीरखर जीसससि यसि नीससिउक्कंपिय नेच्छइ सग्गग्गमणं नेच्छसि परावयारं परजुवाणो गामो पक्खाणिलेण पहुणो पक्खुक्खेवं नहसूइ पज्झरणं नहसूइ पज्झरणं रोमंचो पडिवज्जति न सुयणा पडिवनं जेण समं पडिवन्नं दिणयर For Private & Personal Use Only ५०७ 770 अति० 90*9 afa 90*5 438 696 588 353 53 X 766 252 564 X 703 778 472 777 पृ० 340 271 580 734 अति० 226 * 3 406 169 41 476 177 235 235 अति० 559*1 46 X 76 66 www.jainelibrary.org

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