Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh, Vishwanath Pathak
Publisher: Parshwanath Vidyapith

Previous | Next

Page 587
________________ ५१२ सद्दावसद्दभीरू सन्भावबाहिरेह सब्भावे पहुहियए समउत्तुंग विसाला सयलजण पिच्छणिज्जो अति● सरला मुहे न जीहा अति० सरसलिएण भणियं सरसाण सूरपरिसंठियाण सरसरमणसमप्पण सवियारसविब्भम सव्वत्तो वसइ धरा सम्वन्नुवयणपंकय सव्वस्स एह पयई सरसा निहसणसारा 575 सरसा विदुमा 63 सरसा विहु कव्व कहा अति० 31* 1 326 293 697 1 X सव्वंगरागरतं सव्वायरेण रक्खह सव्वो गाहाउ जणो सव्वो छुहिओ सोहइ ससिवयणे मा वच्चसु सहइ सलोहा घणघाय सहस त्ति जं न दिट्ठो 39 अति० 578*2 264 14 161 पृ० 340 562 X 284 सहस त्ति जं व भज्जइ अति० 318*4 संकुइयकंपिरंगो 662 146 अति० 496 * 5 106 X संकुयइ संकुयंते स कुडं गोड्डी घडियघडिय संणियथोरजुय वज्जालग्ग 23 276 175 304 199 * 3 199* 4 X 218 717 X सझासमए परिकुविय संतं न देंति वारेंति Jain Education International 179 608 56 संतेहि असंतेहि य धुक्कज्ज हि संपत्तियाइ कालं गमेसु संपत्तिया विखज्जंइ संभरसि कण्ह कालिंदि संभरिऊण य रुण्णं सात सहत्य दिन्नं सातम्मि हियय दुलहम्मि सा तुज्झ कए गयमय सादियहं चिय पेच्छइ अति० अति० 454* 2 X 435 सासुहय सामलंगी साहसमवलंबतो साहीणामयरयणो आरुह कज्जं सिद्धगणा उरत्थल सियक सिणदीहरूज्जल सिरजाणुए निउत्त सामा खामा न सहेइ सामा नियंबगरुया सायर लज्जाइ कह सा रेवा ताइ पाणियाइ सालत्तयं पयं ऊरुएसु सालंकाराहि सलक्खणा हि For Private & Personal Use Only afa 438*1 514 317 764 187 620 82 634 X 570 X 496* 9 605 428 432 अति० सीलं वरं कुलाओ कुलेण सीलं वरं कुलाओ दालिद्दं arfa 199*1 ० अति० 300*4 587 X 532 सिसिरमयरंदपज्झरण सिहिपेणावयंसा 212 सिहिरडियं घणरडियं अति० 445* 4 सिचंतो वि मियंको अति० 496*12 10 X 438* 4 107 761 92 86 85 www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 585 586 587 588 589 590