Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh, Vishwanath Pathak
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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५०२
वज्जालग
18
484
गाढासणस्स कस्स वि 174 चितामंदरमंथाण
19 गाहाण रसा महिलाण . 13 चोराण कामुयाण य
658 गाहाणं गीयाणं 17 छज्जइ पहुस्स ललियं
147 गाहा रुअइ अणाहा अति० 15*1 छणवंचणेण वरिसो
89 गाहा रुअइ वराई 15 छन्नं धम्मं पयडं च
90x गाहाहि को न हीरइ अति. 18*1 छडिज्जइ हंस सरं
718 गाहे भज्जिहिसि तुमं 16 . छप्पय गमेसु कालं
244x गिम्हे दवग्गि
643 छंदं अयाणमाणेहि गुणवज्जिए वि नेहो अति• 80+1 छंदं जो अणुवट्टइ
88 गुणहीणा जे पुरिसा 686 छंदेण विणा कन्वं अति० 31*5 गुणिणो गुणेहि विहवेहि 55 छायारहियस्स
737 गुरुविरहसंधिविग्गह अति० 641*1 छिज्जउ सीसं अह होउ
71 गुरुविहवलंघिया अवि
273
छिन्नं पुणो वि छिज्जउ गुरुविहववित्थरुत्थंभिरे
छिन्ने रणम्मि बहुपहु
176 742 गोमहिसतुरंगाणं
189
छीए जीव न भणियं अति० 624*1 घरवावारे घरिणी 466
586
छुहइ दढं कुद्दालं धाएण मओ सद्देण मई
219 छेयाण जेहि कज्जं
275 घेत्तण करंडं भमइ
526 जइ उत्तमो त्ति भण्णइ
471 घेप्पइ मच्छाण पए
670 जइ कह वि ताण छप्पन्न 281X घोलंततारवण्णुज्जलेण 286 जइ गणसि पुणो वि तुमं 504x चच्चरपरिणी
464
जइ चंदो किं बहुतारएहि 266 चल चमरकण्णचालिर
173 जइ देव मह पसन्नो अति० 349*3 चलवलयमेहलरवं अति० 3284 जइ देवरेण भणिया
622 चंचुपुरकोडिवियलिय अति० 641*2 जइ नत्थि गुणा ता कि
685 चंदणतरु व्व सुयणा 48 जड नाम कह वि सोक्खं
153 चंदणवलियं दिढंकंचि 538x जइ फुडु एस्थ मुयाणं
479 चंदस्स खओ न ह तारयाण 267 जइ माणो कीस पिओ
355 चंदाहयपडिबिंबाइ 809x जइ वच्चसि वच्च तुमं अंचल 369x चंदो धवलिज्जइ पुण्णिमाइ 73x जइ वच्चसि वच्च तुमं एण्हि 367 चिक्कणचिक्खल्लचहुट्ट 182 जइ वञ्चसि वञ्च तुमं को 366 चिरयालसंठियाई अति० 178*1 जइ विसइ विसमविवरे
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