Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh, Vishwanath Pathak
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 575
________________ ५०० उवूढभुवणभारो ए कुसुमसरा तुह एक्कत्तो रुयइ पिया एक्कत्थे पत्थावे एक्कम्मि कुले एक्कम्मि एक्कस रपहरदारिय एक्कं खायइ मडयं एक्कं चिय सलहिज्जइ एक्कं दंतम्मि पयं एक्कं महुरहिय एक्काइ नवरि नेहो 4 704 204 577 65 172 238 74 429 262 531 एक्केण विणा पियमाणुसेण बहुयाइ 780 एक्केण विणा पियमाणुसेण सम्भाव 781, afa 80*3 एक्केकमवइवेढिय एक्केण या पासपरि एक्केण वि जह धुत्ती एक्केण वि सरउ सरेण एक्को यि दुव्विसहो एक्को चिय दोसो एक्को वि को विनिय अति० 605* à 394 X अति० 178*3 ए दइइ मह पसिज्जसु एमेव कह वि कस्स वि एमेव कह वि मासिणीइ एयं चिय नवरि फुडं एयं चिय बहुलाहो एयं वज्जालग्गं ठाणं वज्जालग्ग Jain Education International एयं वज्जालग्गं सव्वं ओ खिप्पइ मंडल ओलग्गिओ सि धम्मम्मि 217 638 731 170 352 79 arfa 364*2 11 59 795 5 207 154 X 388 ओसरसु मयण घेत्तूण ओ सुम्मइ वासहरे 324 ओ सुयइ विल्लरग्विल्ल अति0214*1 X कइया गओ पिओ 379 कक्खायपिंगलच्छो 647 कज्जं एव्व पमाणं अति० 90*6 X roat कण्हो निसि 594 कण्हो जयइ जुवाणो 592 कहो देवो देवा वि 602 कत्तो उग्गमइ रई 80 कत्तो तं रायघरेसु 205 कत्तो लब्भंति धुरंधराइ 185 कत्तो लवंगकलिया 254 कत्थ वि दलं न गंध 237 ० 316 कद्दमरुरिवित्तिो अति 178 * 2 X करचरणगंडलोयण करफंसमलणचुंबण अति० 559 * 2 X करिणिकरप्पियणवसरस 199 करिणो हरिणहर 581 234 365 568 कलियामिसेण उब्भेवि कल्लं किर खरहियओ कवडेण रमंति जणं कस्स करण किसोयरि अति 624 * 3X अति० 421*2 295 22 312 कह लब्भइ सत्थरयं 494 कह वि तुलग्गावडियं अति 226*2 कह सा न संभलिज्जइ जत्थ 398 कस्स कहिज्जति फुडं कस्स न भिदइ हिययं कह कह विरएइ पयं कह नाम तीइ तं तह For Private & Personal Use Only D www.jainelibrary.org

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