Book Title: Vajjalaggam
Author(s): Jayvallabh, Vishwanath Pathak
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 573
________________ ४९८ वज्जालग्ग 30 ___72 अस्थि असंखा संखा 759 अबुहा बुहाण मज्झे अत्थि घर च्चिय गणओ ___499 अमयं पाइयकव्वं । अत्थो विज्जा पुरिसत्तणं 120 अमया मओ व्व 309x असणेण अइदंसणेण 346 ____ अमरतरुकुमुममंजरि 256 अहंसणेण बालय 347 अमणियगुणो न जुप्पइ 183x अहिट्ठे रणरणओ दिठे ईसा अमुणियजम्मुप्पत्ती अति० 578*1 652 अदिट्ठए अति० 72*2x अमुणियपयसंचारा अद्दिटे रणरणओ दिट्टे ईसा अमुणियपियमरणाए 460x विडंबणा 337 अमुहा खलो व्व कुडिला 302x अद्दिठे रणरणओ दि8 ईसा अम्हाण तिणंकुरभोयणाण 216 सुट्ठिए अलिएण व सच्चेण व 629 338 अलियपयंपिरि 350 अद्धक्खरभणियाई अलियं जंपेइ जणो अद्धत्थमिए सूरे 722 अन्नन्नरायरसियं अलिया खल व्व अति० 31*8 567 अन्नन्नलग्गकयपत्त 707 अलियालावे वियसंत 711 657 अन्नन्ना मेहलया अवधूयअलक्षण अति० 318*2 अन्नं तं सयदलियं अति० 34904 अवमाणिओ व्य संमाणिओ 165 642 अन्नं घरंति हियए अवरेण तवइ सूरो अन्नं न रुच्चइ च्चिय 521x अवहत्थियभयपसरो प० ३४० अन्नं लडहत्तणयं 315 अवहरइ जं न विहियं 673 अन्नासत्ते वि पिए 555x अवहिदियहागमा 378 अन्ने वि गामराया 287 अन्वो जाणामि अहं अत्तण 336 अन्नेहिं पि न पत्ता 226 अन्वो जाणामि अहं तुम्ह 558 अन्नो को वि सहावो 390 अन्वोजाणामि अहंपेम्म अन्नोन्नणेहणिज्झर अति० 328*1 अति० 349*6x अप्पच्छदपहाविर 453 अन्वो तहि तहि चिय 344 अप्पणकज्जेण वि 288x अव्वो धावसु तुरियं 490 अप्पत्थियं न लब्भइ अति० 161*1x अव्वो व हुंति थणया 310 अप्पहियं कायन्वं 83 असई असमत्तरया अति० 496*2 अप्पं परं न याणसि 712 x असईणं विप्पिय रे 489 अप्पाणं अमुयंता 91 असईहि सई भणिया 481 274 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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