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वज्जालग
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गाथार्थ-सुलभ एवं अल्प मूल्यवाली थाली से (या पत्रिका = पत्तल से) अपना समय बिता दो । राजभवन में प्रयुक्त होने वाले पात्र (बर्तन)टूटने वाले और बहुत मूल्यवान् होते हैं ।
थाली, पत्तल या पत्ता अपनी पत्नी का प्रतीक है और राजभवन का पात्र वेश्या का।
गाथा क्रमांक ५७६ मा जाणह मह सुहयं वेस्साहिययं समम्मणुल्लावं । सेवाललित्तपत्थरसरिसं पडणेण जाणिहिसि ॥ ५७६ ।।
मा जानीत मम सुभगं वेश्याहृदयं समन्मनोल्लापम् शैवाललिप्तप्रस्तरसदृश पतनेन ज्ञास्यसि
-रत्नदेवसम्मत संस्कृत छाया अंग्रेजी अनुवाद इस प्रकार है--
"यह मत सोचो (या विश्वास करो) कि विश्वासयुक्त अव्यक्त भाषणों से परिपूर्ण मेरा वेश्या हृदय सुन्दर है। तुम अपने पतन से जानोगी कि यह उस प्रस्तर के समान है जो काई से ढंक चुका है ।" ___ उपर्युक्त अर्थ संस्कृत टीका के आधार पर है और उसके अनुसार गाथा किसी वेश्या को सम्बोधित की गई है। यह अनुवाद किसी भी दशा में उचित एवं सन्तोषप्रद नहीं कहा जा सकता। इस प्रकार अर्थ करने पर हृदय का विशेषण 'समन्मनोल्लाप' (अव्यक्त कथनयुक्त) असंगत हो जाता है, क्योंकि वेश्याहृदय सूक्ष्म विचारों का अधिकरण है, मुखनिष्ठ स्थूल उल्लापों का नहीं। प्रो० पटवर्धन ने हृदय का अर्थ Heart लिखा है जो ठीक नहीं है। यहाँ उसका अर्थ छाती (Breast) है । हृदयं मानसे वुक्कोरसोरपि नपुसकम् ।
-मेदिनी विवेच्य गाथा का शुद्ध छाया निम्नलिखित है
मा जानीत मम सुखदं वेश्याहृदय स्वमदनोल्लावम् । - शैवाललिप्तप्रस्तरसदृशं पतनेन ज्ञास्यसि ।। 'मम्मण' का अर्थ मदन (काम) है-मम्मणो मयणरोसा
देशीनाममोला, ६।१४१
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