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वज्जालग्ग
अर्थों में होने वाले, इस प्रत्यय के व्यापक प्रयोगों को अवधी के निम्नलिखित उदाहरणों से भली-भाँति समझ सकते हैंशील या स्वभाव-रिसिहा (क्रोधी स्वभाव वाला)
चौंकहा ( चौंकने के स्वभाव वाला ) लतहा ( लात मारने की आदत वाला)
लल्चिहा ( लालची स्वभाव वाला) नैकट्य -घुरहा ( घूर के निकट रहने वाला) निवास -कलकतिहा ( कलकत्ता में रहने वाला या कलकत्ता का निवासी,
पुरबहा (पूरब का निवासी )
उतरहा ( उत्तर का निवासी ) प्रवृत्ति -टोटकहा ( जादू-टोने में प्रवृत्ति वाला)
टोनहा ( टोना करने वाला) रुचि -गुरहा ( गुड़ में रुचि रखने वाला)
भतहा ( भात में रुचि रखने वाला) नैपुण्य -ढोलिहा ( ढोल बजाने में निपुण )
ढेलहा ( ढेला फेंकने वाला ) प्राचुर्य -पनिहा ( जिसमें पानी अधिक है )
कंकरहा ( जिसमें कंकण अधिक है)
नोनहा ( जिसमें नमक अधिक है ) पण्य - -कपड़हा ( कपड़ा जिसका विक्रेय या पण्य है )
बरतनहा ( बर्तन जिसका विक्रय या पण्य है ) प्रहरण -लठिहा ( लाठी जिसका प्रहरण या हथियार है )
तरवरिहा ( तलवार जिसका प्रहरण है ) संस्करण-तेलहा ( तेल से संस्कृत या तेल में बनी वस्तु) नियोग -भितरिहा ( भीतर नियुक्त) रक्षण -घटहा ( घाट का रक्षक) तुल्यता -मुरदहा (मुरदे के समान, जैसे मुरदहा बैल ) संसृष्टि - दुधहा ( दूध से संसृष्ट)
इस प्रत्यय का दर्शन अर्वाचीन प्राकृत व्याकरणों में नहीं होता । परन्तु इसका मूल संस्कृत में सुरक्षित है
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