Book Title: Syadvadarahasya Part 3
Author(s): Yashovijay Upadhyay, 
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 15
________________ मध्यमस्याद्वादरहस्य खण्डः ३ विएप ८६. दिपय प्रम अन्यथासिद्धि के विदायण की व्यर्थता की दांका पत्रं उसका निरसन पृथपदार्थप्रकाशनम फकिकातात्पर्ययोतनम् | पृथकादानिधन . नयायिक सम्बन्धभेद कारणत्वभंदः नीलकण्ठादिमतप्रकाशनम् प्रथम न्यथासिड के क्षण में अन्य मत मुकावली-प्रभा-दिनकरीयादिकृन्मतदर्शनम् 'रूपवन दण्डप में घटकारगना की शंका में परिहार : अतिप्रमनधर्मणाऽपि कारणलवधिविचार: परिष्कृतप्रथमान्यधासिद्धलक्षणम् | रामरुद्रमतप्रकाशनम् द्वितीय अन्वयानद्ध का प्रतिपादन नृसिंहमताऽबटनम गदाधरमनप्रकाशनम् द्वितीय अन्यवामित्र के भर में गामि एवं अनिपामि १५५ गमरुद्र-नृसिंहमनद्योतनम द्वितीय अन्न्यागिद्ध के लक्षण में परिष्कार मामाना उपपादकत्वनिर्माता गणाटकन्य का निर्माण नामुमकिन अपूर्व प्रति यागस्यान्यधासिद्धत्यापाकरणम Art:य न्यागिद्ध का ननाय लक्षण भी सदीप महादेव-नृसिंहमतनिगसः दीधिनिकार-नृसिंहपकाशिकाकुन्मनवियातनम नीय अाधामिद का प्रनिगादन 'पजमाविभक्त्यर्थविद्याननम पाकाग-4 के रूपागभाव में अन्यनिग्य का नाका ३ गन्ध प्रति रूपमागभावम्यान्यधामिडविचारः नगा अन्यथासिल के २५१४१ का परिकार गमग्दभद-नृसिंहशानिमता:चंदनम नृतीयान्यधामिद्धेः पांग्कृतरक्षणम नामा पहिंमार म भा मौका भदायानपानम या निसपनिमाजिक ? र || न मन कारपणनावादगंनाः कृलापिता पञ्चम अन्यथासिद्ध तत्वचिंतामणिसंवादः गदावर विषनाथ-रघुनाथ-महादेवादिमनयोतनम दृढवण्डवेन परकारणता अस्वीकार्य-दीधितिकार पदाधरोक्तिप्रदर्शनम् नयायिकमतानुसार परिस्कृत कारगता का रूप अनत्रयोदक का निर्वाचन व्यापकताइयगर्भककारणनावादः परिष्कृत कारणवलक्षण . नैयायिक जगदीशतकालद्वारमनप्रकाशनम उदयनाचार्यमतावंदनम् अनलाभाषाभाष स्वरूपसम्बन्ध में रहता है. . नयापिक ६ मनानाभाल्य प्रतियागिरूपताविचारः मीर के पति नीलाभा की कारणता का समर्थन अनुसन्धानप्रारम्भः नयापिकसंमतकारणता असंगत-स्याद्वादी दिनकरीयवृनिखण्डनम् ईश्चरजानादि में घटादि के प्रति अन्यथासिद्धल की आपनि ६ द्वितीपायथासिद्धिनिरासः श्रावणात्यक्ष के प्रति द्वितीयान्यचासिद्धत्वापान मनुषाकारमतनिरासः दिनकरीयवृत्तिनिरामः कारणलक्षण में भेदकूट या अरवपदाभाष का ना नामुमकिन जगदीवामतनिरासः पक्षधागश्रमनिकन्दन न्यूनतालीप नामुमकिन अध्यात्मापनिपदादिसंवादः पाशुपतब्रह्मपनिषदादि संवादः चन्म कारिका की व्याख्या प्रभानन्दमूरि-विशालगजसूखिचनसंवादः पदहा ॥ परिणाम में त्रितयात्मकता विष्कम्भक्रम प्रवाहक्रमस्वरूपवियांतनम् पास्तमीमान्त-निर्मामान्नरवरूपप्रकाशनम अप्रमहसी प्रवचनमाग्मनादः - पय धाय में अभिनेत ग्यादानकल्पलता-सम्मतितकंनिर्मादः पिदार में विटाप का प्रदर्शन परमाणकारणतावादित्रितवमान भंदापानम गावापान स पारनपद स्याठादकल्परताव्यान्यालंगः जबरनाकृत्यशग्निः चन हायवासिांनिगमः रायपामिन गायरमनपदशनम 17. के. सागर

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