Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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उनकी भावना से प्रेरित होकर जिनवाणी की सेवा तथा प्रचार, प्रसार के लिए बच्चों को ज्ञानी एवं आर्दश बनाने की मेरी जो अन्तरंग भावना है उससे संबल प्राप्त कर इस टीका की रचना हुई है। इसकी टीका के लिए मैंने कुन्दकुन्द स्वामी के साहित्य, आर्यिका सुपार्श्व मति माताजी से अनुवादित अकलंक स्वामी कृत राजवार्तिक, तत्त्वार्थसार, सर्वार्थसिद्धि, इष्टोपदेश, समाधितंत्र, स्वामी समन्तभद्र साहित्य, आत्मानुशासन, तिलोय पण्णत्ति, त्रिलोकसार, द्रव्य संग्रह, भगवती आराधना, पुरुषार्थ सिद्धिउपाय, हरिवंश पुराण, गोम्मटसार जीवकाण्ड-कर्मकाण्ड, ज्ञानार्णव Cosmology old and new,. Reality, Tatvartha sutram (english) आदि जैन आचार्यों के साहित्य के साथ-साथ पातञ्जलि योग दर्शन, महाभारत आदि जैनेतर कृतियों का आवलम्बन एवं उद्धरण लिया है। इसलिए वस्तुतः इस कृति के रचनाकार वे ही महानुभाव है जिनकी कृति का मैनें आवलम्बन लिया है। मैं तो केवल एक मालाकार या मधुकर के समान हूँ। जैसे मालाकार विभिन्न वृक्षों से विभिन्न श्रेष्ठ पुष्पों को संचय कर माला बनाता है वैसे ही मैंने भी विभिन्न आचार्यों के साहित्य रूपी पुष्प तरू से सिद्धान्त रूपी. अच्छे-अच्छे पुष्प चयन, करके उमास्वामी कृत सूत्र में पिरोया है। जैसे-मधुमक्खी विभिन्न पुष्पों से मधु लाकर छत्ते में संचय करती है वैसे मैंने भी आगम रूपी विभिन्न पुष्पों से सिद्धान्तरूपी मधु संग्रह करके तत्त्वार्थ सूत्र रूपी मधु कोश में संचय किया है।
मेरे लेखन कार्य अधिक व्यापक होने के कारण इस कार्य में हमारे संघस्थ मुनि कुमार विद्यामंदि, मुनि गुप्तिनन्दी, आर्यिका राजश्री माताजी, आर्थिक क्षमाश्री माता जी, ब्र. सुषमा, ब्र. प्रज्ञा (डोली), ब्र. दीपा, ब्र. संध्या, ब्र. मीना, मुज्जफरनगर की मेरी धार्मिक शिष्या कु. सोनिया, कु. पूनम, डॉ. नीलम, कु. ममता, निवाई नगर की धार्मिक शिष्यायें कु. सन्मति जैन, कु. रेखा पाटनी, कु. हैप्पी, कु. हीरा, कु. साधना, कु. बिन्दू गुप्ता, कु. निर्मला, कु. कमला; कु. शिमला संगी, कु. मिनि, कु. शिमला, कु. पिंकी, कु. डिम्पल और मुकेश कुमार लुहाडिया (संयोजक), मुकेश कुमार कासलीवाल ने विशेष सहायता की है।
अभी तक प्राय: मेरी जो 50-60 किताबें छपी है उसका अर्थ भार का
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