Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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है। इसका मुख्य उद्देश्य है तत्त्वार्थ सूत्र में निहीत वैज्ञानिक तथ्यों को उजागर करना क्योंकि आधुनिक युग वैज्ञानिक युग है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से धार्मिक सिद्धान्त का प्रतिपादन करने से धार्मिक सिद्धान्त जो गूढ़ एवं शुष्क रहता है वही सिद्धान्त सरल एवं सुरूचि पूर्ण हो जाता है।
दूसरा उद्देश्य यह भी है कि धार्मिक दृष्टि में विज्ञान को समझने के लिए और विज्ञान की दृष्टि में धर्म को समझने के लिए जो विद्यार्थी एवं शोधकर्ता चाहते हैं उन्हें इससे मार्ग दर्शन मिले एवं आगे किसी भी विषय को शोध करने के लिए दिशा बोध भी मिले।
तीसरा उद्देश्य यह है कि उमास्वामी आचार्य ने जो कहा है उस सिद्धान्त सम्बन्धित अन्यान्य आचार्यों ने क्या कहा है उसका भी दिग्दर्शन कराना है।
चौथा उद्देश्य यह है कि अभी तक जो आधुनिक हिन्दी टीकायें हुई है, उसमें संक्षिप्त वर्णन है इसलिए उस विषय को विस्तार से विद्यार्थी लोग हृदयांगम करे, इस कारण से विस्तार से लिखा गया है।
जब संघ सहित हमारा आगमन जयपुर में हआ था उस अवधि में जयपुर में विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक कार्यक्रम की श्रृंखला में शैक्षणिक शिविर भी लगा था। उस शिविर में प्राय: पहली कक्षा से लेकर लेक्चरार (शिक्षक, आचार्य) तक के 600 जैन-अजैन विद्यार्थी भाग लिये थे। उस शिविर में मेरे द्वारा (कनकनन्दी) “धर्म दर्शन विज्ञान प्रवेशिका" भाग-1-2, छहढाला की कक्षायें चली। यह शिविर इतना सफल रहा कि इसकी चर्चा जयपुर में चली। इससे पंडित और बुद्धिजीवी भी प्रभावित हुए। इस शिविर के लिए नेमीचन्द काला आदि व्यक्ति की सहायता से “धर्म दर्शन विज्ञान प्रवेशिका" की 2100 पुस्तकें छपी थी। जब उन्होंने मेरी किताबें एवं शिक्षा देने की प्रणाली देखी एवं सुनी तो वे सम्पूर्ण शिविर की व्यवस्था करने के साथ साथ शिविर की हर क्लास में उपस्थित रहते थे। मेरी लेखन, शिक्षा, पढ़ाने की शैली से प्रभावित होकर कहा-गुरुदेव! 'मोक्ष शास्त्र' जैन धर्म का मुख्य शास्त्र है इसलिए विद्यार्थी वर्ग और शिक्षण शिविर के अध्ययन के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आधुनिक प्रणाली से लिखने का कष्ट करें।
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