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'सम्मेद शिखर- विवाद क्यों और कैसा?"
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पवित्र एवं पूजनीय श्री सम्मेद शिखर महातीर्थ की पवित्रता सुरक्षित रहे, ऐसा कार्य करना प्रत्येक सुश्रावक का प्रथम एवं अन्तिम कर्तव्य एवं धर्म है ।
जिनकी तीर्थ के प्रति एवं तीर्थपति परमात्मा के प्रति पूजनीयता के पवित्र भाव हैं वे विवाद क्यों करेंगे ? कोर्ट का द्वार खटखटाना ही जहाँ गलत है वहाँ राजनीतिक प्रभाव के सहारे सत्यों और तथ्यों पर पर्दा डलवाने को तो अपराध ही कहा जायेगा ।
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हम अपना श्रावकाचार भूलकर उलटे-सीधे मार्ग का अवलम्बन करेंगे तो सत्य, न्याय और पूज्यों का आदर करने के महत्वपूर्ण कर्तव्य के साथ सरासर अन्याय करेंगे ।
सत्य, न्याय एवं तीर्थ की पूजनीयता को साक्षी कर, श्रावकश्रावक को मिल-बैठकर इस अनुचित विवाद को तुरन्त समाप्त करना चाहिए । यही हमारे धर्म और कर्तव्य की पुकार है ।
सब को सद्बुद्धि मिले और सत्य का आदर हो । इसी शुभ कामना के साथ नमो तित्थस्स.
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- विजय कलापूर्ण सूरीश्वर
खेरागढ़ (म. प्र. )
ता. 27. मई 1998
आचार्य श्री पद्मसागर सूरीश्वरजी म.सा.
पत्र से ज्ञात हुआ कि "सम्मेद शिखर विवाद क्यों और कैसा ?'' पुस्तक छपने जा रही है।
उक्त पुस्तक प्रकाशन से तीर्थ के विषय में वहाँ की वर्तमान
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