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'सम्मेद शिखर- विवाद क्यों और कैसा?"
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के तथाकथित विवाद से परिचित होने का सुअवसर मिलेगा और हम सभी धर्म एवं अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होंगे।
सुश्रावक भण्डारीजी के इस कथन से मैं पूरी तरह सहमत हूँ कि तीर्थ स्थानों के मामले में सरकारी हस्तक्षेप का स्वागत - समर्थन करना, समाज एवं धर्म के प्रति अन्याय करना है ।
हमारी तो प्रभु से यही हार्दिक प्रार्थना है कि सभी को सद्बुद्धि प्राप्त हो जिससे पवित्र और महान् तीर्थों में सरकारी हस्तक्षेप को घुसने का अवसर न मिले ।
भण्डारीजी ने जिस परिश्रम के साथ अत्यन्त अल्प समय में यह पुस्तक तैयार की है उसके लिए निश्चय ही वे हम सब की ओर से बधाई के पात्र हैं। मैं उन्हें इस शुभ कार्य के लिए हृदय से धर्मलाभ देना चाहूंगी |
अजमेर-प्रवास
ता. 7 जून 1998
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॥ जैन धर्म की जय हो ॥
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- साध्वी सुमंगला
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