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श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय
(प.पू. तपस्वीसम्राट स्व. आचार्य श्री राजतिलक सूरीश्वरजी म.सा.)
जीना और जन्म लेना तो उसी का सार्थक है, जिसके जीने और जन्म लेने से समाज गौरवान्वित होता हैं, शासन की प्रभावना होती है, दिव्यज्ञान से समाज को सरज्ञान का आलोक मिलता है......इसी क्रम के सिद्धहस्त जैनाचार्य है.....राष्ट्रसन्त, तपस्वीसम्राट प.पू. आचार्य भगवन्त 1008 श्रीमद् विजय राजतिलक सूरीश्वरजी म.सा. । स्वर्गवास 12 अगस्त 98, अहमदाबाद।
___“ऐ मौत! आखिर तुझ से नादानी हुई, फूल वो चुना, जिससे गुलशन की वीरानी हुई।"
वाणी के जादूगर, भक्तों की परम आस्था के सिरमौर तपस्वी सम्राट आपके चरणों में कोटि-कोटि वन्दना।
-एम. मंगलचन्द भण्डारी
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