Book Title: Sammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Author(s): Mohanraj Bhandari
Publisher: Vasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 138
________________ श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय प.पू. उपाध्याय श्री धरणेन्द्र सागरजी म.सा. स्वर्गवास 8 अक्टूबर, 1998 को अहमदाबाद में पहले ही जख्म बहुत थे पर, विधि ने तो हार नहीं मानी। जो था जिन शासन का नायक, वह विदा हो गया हमसे। प.पू. राष्ट्रसन्त, आचार्य श्री पद्मसागर सूरीश्वरजी म.सा. के वरिष्ठ शिष्यरत्न, नूतन जैन लघुतीर्थ (अजमेर) के सहयोगी एवं आशीर्वाददाता, उपाध्याय श्री धरणेन्द्र सागरजी म.सा. सौम्य, शान्त-स्वभावी एवं स्पष्ट वक्ता थे।आप सदा अध्यनरत और प्रभु-भक्ति में सदैव निमग्न रहते थे। बड़े-छोटे का भेद आपके मन में नहीं था। सभी श्रावकों के साथ आत्मीयतापूर्ण और प्रभावित करने वाला मधुर-व्यवहार आपका श्रेष्ठ गुण था। प.पू. उपाध्याय श्री धरणेन्द्र सागरजी म.सा. को हार्दिक श्रद्धांजलि। -जिनेन्द्र भण्डारी द्वितीय वर्ष (वाणिज्य) राज महाविद्यालय, अजमेर

Loading...

Page Navigation
1 ... 136 137 138 139 140