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"सम्मेद शिखर- विवाद क्यों और कैसा?'
छपते-छपते.
"
साध्वी रत्नशीला श्रीजी म.सा.
एक सत्य को छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं और इसी दौर से महान् और पवित्र विश्व-प्रसिद्ध सम्मेद शिखरजी का तथाकथित विवाद गुजर रहा है।
जब झूठ, गन्दी राजनीति का संरक्षण पा जाता है तब स्थिति और भी भयानक हो जाती है। मैं तो केवल इतना ही कहना चाहूंगी कि सम्मेद शिखरजी के तथाकथित विवाद को कानून के दायरे में अब तक मिली असफलता से खिन्न होकर उसे गन्दी राजनीति के क्षेत्र में घसीटने के जो तौर-तरीकें अपनायें गये वे निश्चय ही समाज और धर्म के मूल हितों पर सीधा और गहरा प्रहार है ।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि चिन्तनशील और अनुभवी वरिष्ठ पत्रकार श्री मोहनराजजी भण्डारी, सम्मेद शिखरजी के तथाकथित विवाद के बारे में सत्यों और तथ्यों को "सम्मेद शिखरविवाद क्यों और कैसा ?' शीर्षक पुस्तक में प्रस्तुत करने का बहुत ही कठिन और अत्यन्त अनिवार्य शुभ कार्य कर रहे हैं ।
परिस्थितियों और समय का प्रबल तकाजा है कि इस पुस्तक के व्यापक प्रचार-प्रसार के दायित्व के प्रति हम सब जागरूक हों । - साध्वी रत्नशीला
कुचेरा - नागौर (राज.)
तां 15 सितम्बर, 1998
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