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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
साध्वी शुभदर्शना श्रीजी म.सा. आज के कलयुग में सत्य की रक्षा करना जितना कठिन है, उतना ही अनिवार्य है।
इतिहास-प्रसिद्ध एवं महान् पूजनीय तीर्थ-स्थल सम्मेद शिखरजी की सम्पूर्ण व्यवस्था और मालिकाना हक, जैन समाज के एक बड़े समुदाय(श्वेताम्बर जैन समाज) के हाथों में बहुत ही लम्बे अर्से से चला आ रहा है उसमें मात्र हक प्राप्त करने के लोभ से जो राजनीतिक खेल, खेला जा रहा है वह महान् तीर्थ की पवित्रता को नष्ट-भ्रष्ट करने के साथ ही जैन समाज की रही-सही एकता में विष घोलने जैसा महापाप है।
यद्यपि सुश्रावक, सुप्रसिद्ध लेखक एवं जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार श्री मोहनराजजी भण्डारी मेरे सम्पर्क में तो नहीं आये लेकिन उनके बारे में जो कुछ सुना-पढ़ा और समझा उसके आधार पर कह सकती हूँ कि निष्पक्ष और सुलझे हुए अनुभवी विचारक होने के कारण ही सामाजिक एवं सार्वजनिक-जीवन में श्री भण्डारीजी काफी विश्वसनीय और लोकप्रिय हैं।
मुझे खुशी है कि सम्मेद शिखरजी के तथाकथित विवाद के बारे में श्री भण्डारीजी जो तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह एवं राजस्थान के मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत के कर कमलों से सम्मानित हैं, "सम्मेद शिखर- विवाद क्यों और कैसा ?' नामक पुस्तक लिख रहे हैं। प्रभु इनके सद्प्रयत्न को सफल बनायें, यही हार्दिक मंगलकामना है। मदनगंज-किशनगढ़ (अजमेर)
-साध्वी शुभदर्शना ता. 15 सितम्बर, 1998
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