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श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय
आचार्य विजय कलापूर्ण सूरीश्वर
शंखेश्वर (गुजरात)
2 फरवरी, 1991 सुश्रावक गनपतराज भण्डारी, ।
जोग धर्मलाभ।
.....अजमेर में शिखरबन्द भव्य जिन मन्दिर शहर की एक अपूर्व शोभा के साथ परमात्मा, भक्तों की श्रद्धा-भक्ति का एक अद्भुत प्रतीक बनेगा। तुम्हारा प्रयास, हार्दिक भाव एवं अनेक संघों तथा महार सहकार का यह भव्य परिणाम है। परमात्मा की कृपा से आपके प्रयास सफल हों। यही हमारी मंगल आसीस है।.....
-कल्पतरू विजय का धर्मलाभ।
आचार्य विजय भुवनभानु सूरीश्वर
ईरोड (तामिलनाडू)
17 सितम्बर, 1991 सुश्रावक गनपतराजजी भण्डारी,
मुनि भुवनसुन्दर विजय का धर्मलाभ।
..... 26.5.98 को नूतन जिनालय में प्रतिमाजी विराजमान हो रहे हैं, जानकर अत्यधिक प्रसत्रता हुई धन्यवाद।
नूतन मन्दिर का संशोधित नक्शा व जैन उपाश्रय का नक्शा अच्छा है। कार्य सम्पन्न सुचारू रूप से होवें ऐसी शासन देवों से प्रार्थना करते हैं।
पूज्य गुरुदेव श्री आदि की शुभाशीष-शुभेच्छा आपके साथ ही है। हम मन्दिर निर्माण में आपके सहयोग की बहुत सराहना करते हैं। उपाश्रय निर्माण भी करवाइये ........ धर्म आराधना में खूब वृद्धि करें।
-मुनि भुवनसुन्दर का धर्मलाभ।
बम्बई
आचार्य पद्मसागर सूरी
19 दिसम्बर, 1990 सुश्रावक श्रीमान् गनपतराजजी भण्डारी,
योग्य धर्मलाभ।
..... संशोधित मन्दिर का नक्शा सुन्दर है। शिल्प की दृष्टि से भी शुद्ध है। यह नक्शा ज्यादा आकर्षक रहेगा। उपाश्रय का प्लान भी सुन्दर है। आप सब जनों की मेहनत अनुमोदनीय है। ..... धर्म आराधना में अभिवृद्धि करेंगे।
-(ह.) आचार्य पद्मसागर सूरी
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