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श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय
आचार्य गुपरलसूरी
पिण्डवाडा (राज.)
12 जनवरी, 1991 सुश्रावक गनपतराजजी भण्डारी,
योग्य धर्मलाभ।
..... जिन मन्दिर व उपाश्रय का नक्शा देखा। संशोधित नक्शे के अनुसार नूतन मन्दिर का निर्माण कराना ज्यादा अच्छा होगा।
श्री वासुपूज्य स्वामी का मन्दिर बनाने का जो लक्ष्य रखा है। उसमें पूर्णतया विजय प्राप्त करें। यही शुभेच्छा है। आपका समर्पित सहयोग सराहनीय है। .....
____-आचार्य गुणरत्नसूरी का धर्मलाभ।
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पंन्यास धरणेन्द्रसागर
पालीताणा (गुजरात)
12 दिसम्बर, 1990 सुश्रावक गनपतराजजी भण्डारी,
योग्य धर्मलाभ।
..... श्री वासुपूज्य स्वामी नूतन मन्दिर का कार्य प्रतिदिन अति उन्नति के शिखर पर चल रहा है, यह जानकर प्रसन्नता हुई।
नूतन मन्दिर का संशोधित नक्शा देखा, मन्दिर आकर्षक बनेगा। संशोधित नक्शे से भविष्य में एक लघु तीर्थ थोड़े समय में ही आगे आवेगा। .....
-(ह.) धरणेन्द्रसागर
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पंन्यास नित्यानन्दविजय
लुधियाना (पंजाब)
7 फरवरी, 1991 श्री जी.आर.भण्डारी,
योग्य धर्मलाभ।
..... श्री वासुपूज्य स्वामी के नूतन जिनालय में आप 26.5.91 को परमात्माप्रतिमाओं का प्रवेश करवाने जा रहे हैं, जानकर प्रसन्नता हुई।
हमारी मंगल कामनाएं स्वीकार करें।
नूतन जिनालय को और अधिक भव्य एवं आकर्षक रूप देकर लघु जैन तीर्थ का रूप प्रदान करने को प्रयत्नशील हैं, जानकर हार्दिक हर्ष हुआ। आपकी हार्दिक अभिलाषा अवश्य सफल हो। यही शासन देव से प्रार्थना है। ..... आपकी श्रद्धा-सद्भावना सराहनीय है।
-(ह.) पंन्यास नित्यानन्द विजय
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