Book Title: Sammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Author(s): Mohanraj Bhandari
Publisher: Vasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir

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Page 129
________________ 42 श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय करने की अद्भुत क्षमता थी। आपने अपने गुरुदेव से संघ एकता का अद्भुत पाठ पढ़ा था और अपने जीवन में उसे चरितार्थ कर बताया। "परम तेज, महानग्रंथकार, हजारों युवाओं को सही दिशा में जागृत करने वाले जिनकी आँखों में था-आत्म भाव का अंजन जिनके हृदय में था-परमात्मा भक्ति का गुंजन जिनकी लेखनी में था-जिनवचन का अगाध चिंतन जिनके मस्तिष्क में था-विविध शास्त्रों का मंथन जिनके मन में था-संघ व शासन एकता के भाव ऐसे थे अनेक गुणवाले प्रतिभा सम्पन्न आचार्य श्री विजय भुवनभानु सूरीश्वरजी महाराज।" पूज्य श्री की प्रथम स्वर्गारोहण तिथि पर दिसम्बर 1996 में पंकज सोसायटी अहमदाबाद में एक ऐतिहासिक 8 दिवसीय महोत्सव का आयोजन बहुत ही विशाल रूप में किया गया था जो बड़ा ही अनुमोदनीय एवं शासन प्रभावना युक्त रहा। करीब 250 मुनि भगवन्तों एवं 1150 साध्वीजी म.सा. ने इसमें भाग लिया। महोत्सव में भाग लेने के लिये देश के कोनेकोने से भक्त गण पधारे, विशाल पण्डाल में 10 हजार लोगों के ठहरने की, 50 हजार लोगों के बैठकर भक्ति भावना करने की तथा भोजन करने की व्यवस्था थी। 1150 साध्वी जी भगवन्तों की पावन निश्रा में 40 हजार श्राविकाओं ने सफेद वस्त्र धारण कर सामायिक की और बाद में एक विशाल शोभायात्रा का आयोजन पूज्य श्री के जन्म स्थल से किया गया जिसमें 50 आचार्यो, हजारों साधु-साध्वीजी लाखों की तादाद में लोगों ने भाग लिया। एक विशाल प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया जिसमें 141 से अधिक शिक्षाप्रद मॉडल दर्शाये गये थे। इस महान प्रेरणा दायक महोत्सव को देखकर हजारों अजैनों ने व्यसन मुक्ति तथा जैनों ने बारहवृत्त के नियम ग्रहण किये। इस प्रकार इस महोत्सव ने एक अमिट छाप छैन जगत में छोड़ी है। -पंन्यास श्री भुवनसुन्दर विजय, सूरत Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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