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श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय
लिए लालायित-आतुर रहते हैं। संत और भगवान के हृदय दो नहीं है। जो बात संत के हृदय में आ गई, जैसे 'अमुक का कल्याण हो' तो भगवान उसको अवश्य ही पूरा करते हैं। भगवान की बड़ी भारी कृपा होने पर ही संत मिलते हैं, जैसे गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा – 'बिनु हरि कृपा मिलहिं नहिं संता।' संत की आज्ञा कभी भूलकर भी नहीं टालें। संत के हाथ भगवान सदा बिके हुए ही रहते हैं । जो संत का प्यारा है वह वास्तव में भगवान का ही प्यारा है। संत का हृदय भगवान का घर है।
संत विनोद में जो भी कह देते हैं, वह भगवान को मंजूर हो जाता है। • संत तीर्थ को भी महान् तीर्थत्व प्रदान करते हैं।
-"दैनिक नवज्योति", अजमेर के 2 अक्टूबर, 1998 के अंक से साभार।
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___ लोग कहते हैं कि समय धन है, लेकिन मेरी समझ में समय धन से भी ज्यादा मूल्यवान है। धन को हम पुनः पा सकते है, लेकिन समय को नहीं। अधिक धन को हम तिजोरी में रख सकते हैं, लेकिन समय के लिए कोई तिजोरी नहीं हैं।
जीवन से अगर प्रेम है तो समय से भी प्रेम करो, क्योंकि जिंदगी समय की ही तो जोड़ है। जीवन का प्रत्येक क्षण भगवन्मय बना कर अपनी चेतना, विकास के उत्तुंग शिखर की ओर अग्रसर करो।
-आचार्य विजय कलापूर्ण सूरी.
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