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श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय
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वासुपूज्य स्वामी का भव्य व कलात्मक मंदिर
पुष्कर रोड पर दाहिनी तरफ महावीर कॉलोनी और उसके सामने 'वीर लोकाशाह कॉलोनी' बसी है। इसी कॉलोनी में श्वेताम्बर जैन समाज के 'श्रीवासुपूज्य स्वामी' का मंदिर है। पूरा मंदिर संगमरमर से निर्मित है। यह अजमेर श्वेताम्बर जैन समाज का पहला शिखरबन्द मंदिर है, शेष चार मंदिरों में शिखर नहीं है।
माणकचन्द देसलड़ा और प्रकाश भण्डारी ने मंदिर की भलीभांति जानकारी देते हुए बताया कि मूलनायक प्रतिमा भगवान श्री वासुपूज्य स्वामी की है। इनके दोनों तरफ भगवान विमलनाथजी एवं शांतिनाथजी की प्रतिमाएं है। श्रीमद्विजय कलापूर्ण सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से ही वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमा की स्थापना हुई। मंदिर के बाहर दोनों तरफ क्रमश: तीर्थकर आदिनाथजी व चन्द्रप्रभुजी की प्रतिमाएं विराजमान हैं। मंदिर में तीन सर्वधातु की प्रतिमाएं हैं- आदिनाथजी की एक एवं गट्टाजी की दो प्रतिमाएं हैं। मंदिर के रंग मण्डप में भगवान श्री आदिनाथजी, श्री चन्द्रप्रभुजी, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी, श्री वासुपूज्य स्वामीजी, श्री मणिभद्रजी एवं देवी पद्मावतीजी की प्रतिमाएं भी प्रतिष्ठित हैं। इस मंदिर को जैन लघुतीर्थ के रूप में विकसित करने वाली योजना के तहत ही यह कार्य कराया गया है। जी.आर. भण्डारी के अनुसार मंदिर में संगमरमर से निर्मित विविध जैन तीर्थों को दर्शाने वाले आठ नयनाभिराम शिला पट्ट लगे हुए हैं-श्री सम्मेदशिखरजी महातीर्थ, श्री शत्रुजय महातीर्थ, श्री गिरनारजी महातीर्थ, श्री अष्टापद महातीर्थ, श्री पावापुरी तीर्थ, श्री केशरियाजी तीर्थ, श्री राणकपुरजी तीर्थ, श्री चंपापुरी तीर्थ, श्री सिद्धचक्र महायंत्रम् आदि। मंदिर की भीतरी गोलाकर छत पर भी इन्द्रइन्द्राणियों की भव्य प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं। चारों तरफ संगमरमर के कलात्मक स्तम्भ हैं। छह कलात्मक मेहराब हैं। इस मंदिर की प्रतिष्ठा अभी शेष है। कलश एवं ध्वज चढ़ाने का धार्मिक कार्यक्रम शीघ्र सम्पन्न होगा। प्रकाश भण्डारी के अनुसार सादड़ी के जैन मंदिरों के कलात्मक सौन्दर्य के अनुसार ही इस Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com