Book Title: Sammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Author(s): Mohanraj Bhandari
Publisher: Vasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir

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Page 120
________________ श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय 33 वीर लोकाशाह कॉलोनी:प्रथम शिखरबन्द जैन मन्दिर ! अजमेर शहर में विभिन्न धर्म और समाज के हजारों मंदिर बने हुए हैं और जगह-जगह छोटे-छोटे मन्दिर बनते जा रहे हैं। काफी मन्दिर एक ही तरह के हैं। कुछ ही मन्दिरों में निरालापन है। जिन मन्दिरों की अपनी अलग शैली या कलाकृति है, वे मन्दिर प्रसिद्ध भी हैं। उन मन्दिरों के नाम लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं। अनूठा मन्दिर बनाने में इस बार अजमेर शहर का श्वेताम्बर जैन समाज भी आमे आया है। वैसे तो इस समाज की अजमेर में दादाबाड़ी है जो पूरे देश की तमाम दादाबाड़ियों में सबसे बड़ी है। अब इसी श्वेताम्बर जैन समाज ने अजमेर शहर में एक शिखरबन्द मन्दिर बनाया है। अजमेर शहर में फाईसागर रोड पर स्थित वीर लोकाशाह कॉलोनी में यह शिखरबन्द मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर की सलाहकार-कमेटी के संयोजक एवं वरिष्ठ पत्रकार मोहनराज भण्डारी का कहना है कि अजमेर के जैन श्वेताम्बरों के इतिहास में यह पहला मन्दिर है जो कि शिखरबन्द है। इस मन्दिर के अलावा कोई भी मंदिर शिखरबन्द नहीं है। श्वेताम्बर समाज के तपस्वी संत आचार्य श्रीमद्विजय कलापूर्ण सूरीश्वरजी म.सा. के आशीर्वाद से सन् 1986 में इस वीर-लोकाशाह कॉलोनी में इस मन्दिर का निर्माण कार्य आरम्भ हुआ था और अब वह कार्य पूरा हो चुका है। अब मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। श्री भण्डारी का कहना है कि देश भर से एकत्र जनसहयोग से निर्मित इस मन्दिर में श्री वासुपूज्य स्वामी की मूर्ति रखी हुई है। गणपतराज और नरूपतराज भंडारी के अनुसार मंदिर में इस भव्य मूर्ति के अलावा आदिनाथ भगवान, विमलनाथ भगवान, शांतिनाथ भगवान, चन्द्रप्रभु स्वामी और शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की मूर्तियां भी हैं। संगमरमर पत्थर से मंदिर में काफी काम कराया है। यह मंदिर आचार्यों के दिशाShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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