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श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय
आचार्य श्री के आकस्मिक स्वर्गवास के कारण नूतन मन्दिर निर्माण योजना पर विराम लग गया।.
स्व. आचार्य श्री की नूतन मन्दिर निर्माण योजना की कल्पना कैसे साकार हो? उसे कैसे पूरा किया जाये ? मैंने राजस्थान प्रान्त में विचरण करने वाले कई आचार्यों एवं मुनि भगवन्तों से व्यक्तिगत सम्पर्क किया। प्रायः सभी का एक ही जवाब था कि अनुकूल स्थिति होने पर आपको सूचित कर देंगे। न जाने कब अनुकूल स्थिति होगी.....भगवान जाने.....? जब आशा की किरणें दूर-दूर तक दृष्टिगोचर ही नहीं हो रही थी, तो हमने विचार किया कि निःशुल्क प्लाट वापस सोसायटी को सुर्पद कर दिया जाये। इस कार्यवाही का प्रारूप तैयार किया ही जा रहा था कि 18 मार्च, 1985 को सूचना मिली कि कच्छबागड़ देशोद्धारक, आध्यात्मयोगी आचार्य भगवन्त 1008 श्रीमद् विजय कलापूर्ण सूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा लाखन कोटड़ी, अजमेर में विराजमान है।
कब, कहाँ, कौन सी और कैसी ज्योति प्रकट होगी-कौन जाने ? आलोकमयीवाणी एवं ज्योतिर्मय जीवन से जन-जन के जीवन-देवता प.पू. आचार्य श्री कलापूर्ण सूरीश्वरजी म.सा. के अजमेर आगमन ने हमारी निराशा को तत्काल आशा में बदल दिया ..... आचार्य श्री का आगमन हमारे लिये ऐतिहासिक वरदान प्रमाणित हुआ। 18 मार्च, 1985 का यह दिन सदैव स्मरणीय रहेगा। आचार्य श्री से प्रथम बार ही सम्पर्क हुआ और आचार्य श्री ने जैन धर्मावलम्बियों की धार्मिक आस्था को देखते हुए निश्रा प्रदान करने की स्वीकृति प्रदान की। आचार्य प्रवर का यह उपकार सदैव ही स्मरणीय रहेगा।
मार्च, 1985 से मई, 1985 तक आस-पास के क्षेत्रों में शासन की प्रभावना, धार्मिक अनुष्ठानों के कई आयोजन आचार्य श्री की निश्रा में सम्पन्न हुए।आचार्य श्री के विद्वान शिष्य प.पू. मुनिकीर्तिचन्द्रविजयजी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com