Book Title: Sammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Author(s): Mohanraj Bhandari
Publisher: Vasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 94
________________ श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय म.सा. (वर्तमान में पंन्यास) से हमारा बराबर सम्पर्क बना रहा। मुनिश्री की मदद से ही महान् आचार्य श्री की स्वीकृति मिली। 4 जून, 1985 को आचार्य श्री की निश्रा में मन्दिर निर्माण समिति की एक बैठक सम्पन्न हुई। उक्त बैठक में मन्दिर निर्माण योजना को अन्तिम रूप दिया गया। बैठक में मन्दिर में मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमा को विराजमान करने एवं श्री वासुपूज्य स्वामी जैन श्वेताम्बर मन्दिर के नाम से संघ बनाने का ऐतिहासिक निर्णय हुआ। 20 जून, 1985- छत्तीसगढ, शिरोमणि प.पू. सा. श्री मनोहर श्रीजी म.सा. की विदुषी सा. श्री सुलक्षणा श्रीजी म.सा. एवं सा. श्री सद्गुणा श्रीजी म.सा. की पावन निश्रा में भूमि-पूजन, समाजसेवी मंगलचन्दजी भण्डारी एवं मूक समाजसेवी मास्टर श्री धनरूपमलजी मुणोत द्वारा किया गया। 17.मई, 1986- नूतन मन्दिर का खाद्-मुहूंत महोत्सव 17 मई, 1986 को सम्पन्न हुआ।खाद्-मुहूत, जे.एल.एन. अस्पताल, अजमेर के सुप्रसिद्ध शल्य चिकित्सक व मन्दिर के अध्यक्ष डा. जयचन्द बैद द्वारा किया गया। 12 जून, 1986- राजस्व मण्डल राजस्थान, अजमेर के सदस्य श्री मिलापचन्दजी जैन के कर कमलों से नूतन मन्दिर का शिलान्यास हुआ। 15 अप्रैल, 1988- समाजरत्न, सेठ आनन्दजी कल्याणजी पेढ़ी, (अहमदाबाद) के प्रादेशिक प्रतिनिधि श्रीमान् हीराचंदजी बैद (जयपुर) ने 15 अप्रेल, 88 को निर्माणाधीन नूतन मन्दिर के निर्माण कार्य का अवलोकन कर मार्गदर्शन प्रदान किया। (25 जून, 1988-प.पू. राष्ट्रसन्त, आचार्य भगवन्त 1008 श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के प्रथम शिष्य, पंन्यास श्रीधरणेन्द्रसागरजी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140