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श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय
गृह निर्माण समिति, अजमेर ने महाराज साहब की भावना से प्रभावित होते हुए तत्काल वीर लोकाशाह कॉलोनी (पुष्कर रोड) में एक प्लाट निःशुल्क दिलाने का प्रस्ताव आचार्य श्री की सेवा में रखा और उनके निवेदन पर आचार्य श्री ने भूमि का अवलोकन किया एवं उक्त प्लाट को नूतन मन्दिर निर्माण के लिये उपयुक्त बताया। 12 जनवरी, 1983 को इस क्षेत्र में नूतन मन्दिर के निर्माण का निर्णय लिया गया। आचार्य श्री की पावन निश्रा में एक समिति का गठन किया गया एवं जी.आर.भण्डारी को समिति का संयोजक बनाया गया।
आचार्य श्री ने कुछ माह बाद नूतन मन्दिर निर्माण कार्य को अन्तिम रूप देने के लिये संयोजक को सादड़ी (पाली) बुलाया। सादड़ी के मन्दिरों का अवलोकन करते हुए निर्माण योजना को अन्तिम रूप दिया गया। सादड़ी से वापस आने के 5-7 दिन पश्चात् ही अचानक सूचना मिली कि आचार्य श्री का स्वर्गवास हो गया। हृदय को भारी धक्का लगा।
__ स्मरण रहे कि आचार्य श्री जीवन पर्यन्त जैन मन्दिरों के निर्माण एवं जीर्णोद्धार के कार्यों को सदैव प्राथमिकता देकर जिन शासन की समर्पित व सराहनीय सेवा करते रहे हैं । आचार्य श्री के स्वर्गवास के पूर्व के उनके अन्तिम पत्र का सार संक्षिप्त में निम्न प्रकार हैविजय मनोहर सूरीश्वर आदि
सादड़ी तत्र देव-गुरू भक्ति कारक श्री गनपतराज भण्डारी
योग्य धर्मलाभ । पत्र मिला था। मिस्त्री भीकमचन्द प्लाट का नाप लेकर आ गया है । हमारे दिमाग में मन्दिर का प्लान बन गया है। प्लान के अनुसार सुन्दर-भव्य मन्दिर बनेगा.....आने-जाने वालों के लिये अवश्य ही दर्शनीय तीर्थ सा बनेगा । मेरा मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ है। सभी को धर्मलाभ कहना।
मनोहर सूरी का धर्मलाभ।
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