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श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय
+ मन्दिर निर्माण की प्रेरणा
आज से लगभग 50 वर्ष पूर्व पंजाब केसरी तपागच्छ आचार्य देव श्रीमद्विजयवल्लभ सूरीश्वरजी म.सा. का ऐतिहासिक केन्द्र नगर अजमेर में पधारना हुआ तब जैन संघ के हित में आप श्री ने अजमेर में भगवान श्री वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमा मूलनायक के रूप में विराजमान करने का परामर्श दिया था।
संयोग की बात है कि 50 वर्ष पश्चात् पंजाब केसरी का सद्परामर्श, आध्यात्मिकयोगी आचार्यदेव श्रीमद्विजय कलापूर्ण सूरीश्वरजी म.सा. द्वारा गत 4 जून 1985 को दी गई प्रेरणा और मार्ग दर्शन के अनुसार इस मन्दिर की स्थापना सन् 1991 में हुई।
म विनम्र आभार॥ * प.पू. राजस्थान केसरी स्व.आचार्य श्रीमद्विजय मनोहर सूरीश्वरजी म.सा. * प.पू. कर्नाटक केसरी आचार्य श्रीमद्विजय भद्रंकर सूरीश्वरजी म.सा. • प.पू. मेवाड देशोद्धारक आचार्य श्रीमद्विजय जितेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा.
प.पू. युवक जागृति प्रेरक आचार्य श्रीमद्विजय गुणरत्न सूरीश्वरजी म.सा. • प.पू. प्रवचनकार आचार्य श्रीमद्विजय वीरसेन सूरीश्वरजी म.सा.
प.पू. पंन्यास प्रवर श्री धरणेन्द्र सागरजी म.सा. * प.पू. पंन्यास प्रवर श्री नरदेव सागरजी म.सा. * प.पू. शान्तिदूत, पंन्यास प्रवर श्री नित्यानन्द विजयजी म.सा. • प.पू. मुनि श्री जिनसेन विजयजी म.सा. • प.पू. मुनि श्री भुवन सुन्दर विजयजी म.सा. * प.पू. मुनि श्री कल्पतरु विजयजी म.सा. * प.पू. मुनि श्री कीर्तिचन्द्र विजयजी म.सा.
(दि. 26 मई, 1991)
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