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" सम्मेद शिखर - विवाद क्यों और कैसा?"
श्वेताम्बर मानते हैं ।
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5. दिगम्बर आमनाय में द्रोपदी को सोलह सतियों में नहीं
मानते हैं जबकि श्वेताम्बर मानते हैं ।
6. दिगम्बर में तीर्थंकर, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव प्रकृति की अन्य बातों से मुक्त हैं जबकि श्वेताम्बर उन्हें मुक्त नहीं मानते हैं। 7. दिगम्बर में केवली पृथ्वी से चार आंगुल ऊपर चलते हैं, श्वेताम्बर इसे नहीं मानते हैं ।
8. दिगम्बर में इन्द्र सौ हैं जबकि श्वेताम्बर में ये 64 हैं । 9. दिगम्बर में भगवान ऋषभदेव के माता पिता जुड़वा नहीं हुए थे, श्वेताम्बर में जुड़वा हुए थे ऐसा मानते हैं ।
10. भगवान ऋषभदेव ने 5 मुष्ठी लोच किया था, श्वेताम्बरों ने 4 मुष्ठी लोच ही माना है ।
11. भगवान महावीर केवल ज्ञान प्राप्त होने के बाद बीमार नहीं हुए पर श्वेताम्बर ऐसा नहीं मानते हैं ।
12. दिगम्बर आमनाय में जैन आगम या जैनसूत्र का अस्तित्व में होना नहीं मानते हैं, जबकि श्वेताम्बर मानते हैं ।
तीर्थों के विवाद
इस तरह दिगम्बरों ने श्वेताम्बरों से अलग होने के बाद बड़े तीर्थों पर कब्जे के लिए अनाधिकृत चेष्टाएँ शुरू कर दी एवं उन्होंने अपने हिसाब से तर्क प्रस्तुत करने शुरू कर दिए ।
इसी श्रृंखला में राजगिरि, पावापुरी, चंवलेश्वर, अन्तरिक्षजी, कुम्भोज गिरि और अभी हाल पटना स्थित गुलजार बाग कमलद्रह
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