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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
जैन मुनियों द्वारा अध्यादेश का विरोध 15 अप्रेल 1994 को माननीय राष्ट्रपतिजी एवं बिहार के राज्यपाल महोदय को उपाध्याय यशोभद्र विजयजी म.सा. आदि ठाणा 14(उपाध्याय यशोभद्र विजय, पंन्यास पद्मसेन विजयगणि, मुनि शोभन विजय, मुनि जिनहंस विजय, मुनि पुण्यसुंदर, मुनि रविकान्त विजय, मुनि राजपाल विजय, पंन्यास जयसोम विजय, मुनि भुवनसुन्दर विजय, मुनि गुणसुन्दर विजय, मुनि अनंतबोधि विजय, मुनि जिनकीर्ति विजय, मुनि संयमबोधि, मुनि पुण्यरत्न विजय एवं मुनि जयदर्शन विजय आदि) ने तथ्यों सहित सम्मेद शिखर के बारे में अहमदाबाद से जो पत्र लिखा वह निम्न प्रकार है
___ "विषय:- पारसनाथ हिल-धार्मिक आंतरिक विषय में सरकारी हस्तक्षेप बिना जरूरत।
___“बिहार राज्य के गिरीडीह जिले में “पारसनाथ हिल'' के नाम से प्रचलित सम्मेद शिखरजी तीर्थ-पहाड़ का संचालन, नियंत्रण, मलिकी एवं कब्जा भारत वर्ष की श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ की प्रतिनिधि संस्था श्री आनन्दजी कल्याणजी पेढ़ी, अहमदाबाद के हस्ते है।
इस संदर्भ में ऐतिहासिक विगत निम्न प्रकार से है
परम्परा से सम्मेद शिखर पहाड़ का संचालन श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैनों के हस्ते चला आ रहा है।
मुगल बादशाह शहंशाह अकबर के समय से इस विषय के
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