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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?''
आशा है कि आपका यह सप्रयत्न समूचे जैन समाज को जागृत कर सही दिशा में चलने की प्ररेणा देगा जिससे तीर्थस्थल की पवित्रता और गौरव बरकरार रह सके।
सरकारी हस्तक्षेप को आमंत्रित करना या अपने स्वार्थ हेतु उसका समर्थन करना पाप ही नहीं, महापाप का कार्य है। कोल्हापुर (एम.एस.)
-विक्रमसेन विजय ता. 23 जून 1998
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साध्वी सुमंगलाश्रीजी म.सा. “सम्मेद शिखर विवाद क्यों और कैसा ?' के लेखक, प्रसिद्ध पत्रकार एवं समाजसेवी श्री मोहनराजजी भण्डारी, यद्यपि मेरे व्यक्तिगत सम्पर्क में तो नहीं आये लेकिन इनके बारे में समाचारपत्रों एवं इनके द्वारा लिखित अथवा सम्पादित पुस्तकों की थोड़ी बहुत जानकारी अवश्य है।
मैंने अपने हाल के सोजत (राज.) प्रवास के समय भण्डारीजी द्वारा सम्पादित पुस्तक "आओ जीवन सफल बनायें'' पुस्तक देखी, बहुत अच्छी लगी और मैंने पुस्तक की 10-15 प्रतियां भी मंगवाई।
निष्पक्ष एवं सुलझे हुए व्यक्ति जब किसी तथाकथित विवादास्पद विषय पर कलम चलाते हैं तो निश्चय ही वास्तविक स्थिति से परिचित होने का अच्छा अवसर उपलब्ध होता है।
“सम्मेद शिखर विवाद क्यों और कैसा ?' पुस्तक की सामग्री को बहुत ही ध्यान से देखी और पाया कि हम सभी को सम्मेद-शिखर
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